Opinion

मौनी अमावस्याः एक पवित्र पर्व

एकाएक : रिषीता शर्मा एमएससी (न्यू मीडिया) एम.सी.यू. भोपाल

मौनी अमावस्या हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है, जिसे पौष मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह दिन मौन रहने, पवित्र स्नान करने और आत्मचिंतन के लिए समर्पित होता है। मौनी अमावस्या का अर्थ है “मौन रहने की अमावस्या,” और इसे आध्यात्मिक शांति, आत्मशुद्धि, और आस्था का प्रतीक माना जाता है।

मौनी अमावस्या का महत्व

मौनी अमावस्या का उल्लेख हमारे प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। यह माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों, विशेषकर गंगा नदी में स्नान करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन मौन व्रत रखने का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे आत्म-अवलोकन और मानसिक शांति का समय माना जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान मन् का जन्म हुआ था, जो मानव जाति के प्रथम पुरुष माने जाते हैं। इसलिए इस दिन को मनु अमावस्या’ भी कहा जाता है। साथ ही, यह मान्यता है कि इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम स्थल प्रयागराज में स्नान करने से अद्भुत पुण्य की प्राप्ति होती है।

आध्यात्मिक प्रथाएँ

मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालु सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। गंगा, यमुना, या सरस्वती में डुबकी लगाने को सबसे शुभ माना जाता है। स्नान के बाद लोग दान-पुण्य करते हैं, जिसमें अन्न, वस्त्र, और धन का दान विशेष महत्व रखता है।

मौन व्रत रखना इस दिन की विशेष परंपरा है। यह माना जाता है कि मौन रहने से व्यक्ति अपने मन और आत्मा को शुद्ध कर सकता है। इस दिन ध्यान और प्रार्थना के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार का प्रयास किया जाता है।

समाज में मौनी अमावस्या का प्रभाव

मौनी अमावस्या के दिन देश के विभिन्न हिस्सों में मेलों का आयोजन होता है। खासतौर पर प्रयागराज का कुंभ मेला विश्व प्रसिद्ध है, जहाँ लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान और पूजा करने के लिए इकट्ठा होते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि समाज में एकता और सहयोग का संदेश भी देता है।

आधुनिक जीवन में महत्व

आज के व्यस्त और तनावपूर्ण जीवन में मौनी अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह पर्व हमें आत्मनिरीक्षण, आंतरिक शांति और दूसरों के प्रति सहानुभूति की शिक्षा देता है। मौन व्रत और ध्यान की परंपरा मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने में सहायक हो सकती है।

निष्कर्ष

मौनी अमावस्या केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आत्मा और प्रकृति के साथ जुड़ने का एक अवसर है। यह दिन हमें अपनी जड़ों की ओर लौटने, आत्मशु‌द्धि करने, और ईश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने का अ‌द्भुत माध्यम प्रदान करता है। श्रद्धालुओं के लिए यह पर्व आस्था, भक्ति, और पुण्य का एक विशेष संगम है।

पवित्र मौनी अमावस्या पर ध्यान, दान और स्नान जैसे कार्य न केवल हमारी आध्यात्मिक उन्नति करते हैं, बल्कि हमें अपने भीतर की शांति और सच्चाई से जोड़ते हैं।

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