लेखक: गौरव राज सोनी (तेजस्वी)
भारत के राजनीतिक इतिहास में सत्ता परिवर्तन अनेक बार हुआ, परंतु सोच का परिवर्तन दुर्लभ रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल शासन की दिशा बदली, बल्कि शासन के उद्देश्य को भी राष्ट्रहित के केंद्र में स्थापित किया। आज भारत केवल एक उभरती अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि वैश्विक नेतृत्व का नया अध्याय लिख रहा है।
भारत का इतिहास सत्ता परिवर्तन की एक सतत प्रक्रिया रहा है, मुग़लों से लेकर अंग्रेज़ों और फिर लोकतांत्रिक भारत तक। आज़ादी के बाद सबसे लंबे समय तक कांग्रेस शासन ने देश की बागडोर संभाली, लेकिन गरीबी, बेरोज़गारी और असमानता जैसी समस्याएँ जस की तस रहीं। योजनाएँ बनीं, पर उनका लाभ अंतिम व्यक्ति नहीं पहुँच पाया। कांग्रेस के शासनकाल में परिवारवाद और सत्ता केंद्रीकरण ने लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर किया। समाज को संगठित करने के वादे कागज़ों में सीमित रहे। शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में असमानता ने देश की प्रगति की रफ़्तार को रोक दिया।
वर्ष 2014 में देश ने एक नए नेतृत्व का स्वागत किया, नरेंद्र मोदी। वे केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी राष्ट्रनायक हैं, जिन्होंने भारत को आत्मविश्वास, नीति और नये दृष्टिकोण के साथ वैश्विक मंच पर पुनः स्थापित किया। आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्वच्छ भारत मिशन,ये केवल योजनाएँ नहीं, बल्कि नए भारत के परिवर्तन की आधारशिला हैं। मोदी सरकार ने राजनीति को सेवा का माध्यम बनाया, शासन को पारदर्शिता से जोड़ा और राष्ट्रवाद को नीति की आत्मा बनाया।
आज भारत G20 की अध्यक्षता, अंतरिक्ष मिशनों की सफलता, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और डिजिटल क्रांति जैसे क्षेत्रों में दुनिया के सामने एक उदाहरण बन चुका है। भारत अब केवल विकासशील देश नहीं, बल्कि वैश्विक एजेंडा तय करने वाला राष्ट्र बन गया है। क्योंकि मोदी युग में सत्ता का केंद्र व्यक्ति नहीं, राष्ट्र बना है। यह वही भारत है जो अब दूसरों से दिशा नहीं लेता, बल्कि दुनिया को दिशा देता है। सच्चा परिवर्तन सत्ता परिवर्तन से नहीं, सोच के परिवर्तन से आता है। कांग्रेस ने सत्ता को साधन बनाया, पर नरेंद्र मोदी ने सत्ता को राष्ट्र सेवा का साधन बनाया। वे केवल प्रधानमंत्री नहीं नवभारत के शिल्पकार, वैश्विक नायक और भारत की आत्मा की नई आवाज़ हैं।.
