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तमिलनाडु के तिरुवरुर में भगवान गणेश का अनोखा मंदिर: पितरों की शांति और श्री राम की पूजा की कथा

भारत में भगवान गणेश जी के कई अनोखे और प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिनमें से एक विशेष मंदिर तमिलनाडु के तिरुवरुर जिले में स्थित है। यह मंदिर अपनी अद्वितीयता और पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है। अन्य मंदिरों से अलग, यहां भगवान गणेश की प्रतिमा मानव रूप में स्थापित है, जिसे “आदि विनायक मंदिर” के नाम से जाना जाता है।

इस मंदिर की एक खासियत यह है कि यहां लोग पितरों की शांति के लिए पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने गुस्से में आकर श्री गणेश की गर्दन को धड़ से अलग कर दिया था, जिसके बाद गणेश को गज का मुख लगाया गया था। आदि विनायक मंदिर में गणपति का इंसान का चेहरा होने का कारण यही है कि भगवान का गज मुख लगने से पहले उनका मुख इंसान का था।

**पितरों की शांति के लिए विशेष पूजा:**

आदि विनायक मंदिर में भगवान राम ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा की थी। तब से लोग यहां अपने पितरों की शांति के लिए पूजा-पाठ करते आ रहे हैं। इस मंदिर को “तिलतर्पणपुरी” के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है पितरों को समर्पित शहर। पितरों की शांति के लिए पूजा नदी के किनारे की जाती है, जबकि धार्मिक अनुष्ठान मंदिर के अंदर किए जाते हैं।

**भगवान शिव और मां सरस्वती की पूजा:**

इस मंदिर में न केवल श्री गणेश, बल्कि भगवान शिव और मां सरस्वती की भी पूजा की जाती है। यहां आने वाले भक्त आदि विनायक के साथ-साथ मां सरस्वती का भी आशीर्वाद लेते हैं।

**श्री राम और मंदिर का संबंध:**

मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान राम अपने पिता की शांति के लिए पूजा कर रहे थे, तो उनके द्वारा रखे गए चार चावल के लड्डू कीड़ों में बदल गए थे। इस समस्या का समाधान जानने के लिए भगवान राम ने भगवान शिव से मार्गदर्शन मांगा। भगवान शिव ने उन्हें आदि विनायक मंदिर में विधि के साथ पूजा करने का सुझाव दिया। श्री राम ने इस मंदिर में पूजा-पाठ किया और कहा जाता है कि पूजा के दौरान चावल के चार पिंड शिवलिंग में तब्दील हो गए थे, जो आज भी मंदिर के पास स्थित मुक्तेश्वर मंदिर में स्थापित हैं।

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