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भारतीय नौसेना की ताकत में होगी और बढ़ोतरी: दो नई परमाणु पनडुब्बियों को मिली मंजूरी

नई दिल्ली। भारत की सामरिक ताकत को और मजबूती मिलने वाली है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने दो स्वदेशी परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण को हरी झंडी दे दी है। यह फैसला भारतीय नौसेना की आक्रामक और सामरिक क्षमताओं को हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में मजबूत करने के लिए लिया गया है। इन पनडुब्बियों के निर्माण से भारत की सुरक्षा और शक्ति दोनों में वृद्धि होगी।

विशाखापट्टनम में बनेगी स्वदेशी पनडुब्बियां

इन नई पनडुब्बियों का निर्माण विशाखापट्टनम के शिप बिल्डिंग सेंटर में किया जाएगा। सरकार ने इस प्रोजेक्ट में निजी कंपनियों जैसे लार्सेन एंड टुब्रो (L&T) की सहायता लेने का निर्णय किया है, जिससे पनडुब्बियां 95% तक स्वदेशी होंगी। ये पनडुब्बियां वर्तमान में नौसेना में मौजूद अरिहंत क्लास की पनडुब्बियों से काफी अलग और आधुनिक होंगी।

अगले साल नौसेना में जुड़ेंगे नए युद्धपोत

भारतीय नौसेना को अगले साल तक कई महत्वपूर्ण युद्धपोत और सबमरीन मिलने वाले हैं, जिनमें फ्रिगेट्स, कॉर्वेट्स, डेस्ट्रॉयर्स और सर्वे वेसल शामिल हैं। इनसे इंडियन ओशन रीजन (IOR) में भारत की सुरक्षा में और इजाफा होगा।

डेस्ट्रॉयर्स और फ्रिगेट्स से बढ़ेगी ताकत

आईएनएस विशाखापट्टनम, जो कि अपने वर्ग की प्रमुख डेस्ट्रॉयर है, दिसंबर 2024 में नौसेना में शामिल होने वाली है। इसके अलावा आईएनएस सूरत भी इसी श्रेणी में शामिल होगा। इन जंगी जहाजों में ब्रह्मोस एंटी-शिप मिसाइल, बराक-8 मिसाइलें, टॉरपीडो ट्यूब्स और एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर्स जैसे आधुनिक हथियार तैनात होंगे।

पनडुब्बी और सर्वे वेसल भी होंगे शामिल

भारतीय नौसेना की पनडुब्बी क्षमता में आईएनएस वाघशीर का जुड़ना महत्वपूर्ण है। यह पनडुब्बी दिसंबर तक नौसेना का हिस्सा बन जाएगी और इसका उपयोग एंटी-सरफेस और एंटी-सबमरीन वारफेयर में किया जाएगा। इसके अलावा सर्वे वेसल्स आईएनएस संशोधक और आईएनएस निर्देशक भी नौसेना में शामिल किए जाएंगे, जो समुद्र के नीचे और ऊपर के क्षेत्रों का सर्वे और रिसर्च करने में सक्षम होंगे।

निष्कर्ष

दो स्वदेशी परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण की मंजूरी के साथ, भारतीय नौसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा होने वाला है। आने वाले सालों में नौसेना के बेड़े में नए युद्धपोतों और पनडुब्बियों के जुड़ने से देश की सामरिक क्षमता को और मजबूती मिलेगी। हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की स्थिति और मजबूत होगी, जिससे देश की समुद्री सुरक्षा का दायरा बढ़ेगा।

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