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इस वक़्त की सबसे बड़ी चौंकाने वाली खबर – IMF ने पाकिस्तान को दिया नया कर्ज, वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ जंग को बड़ा झटका

नई दिल्ली/इस्लामाबाद: अंतरराष्ट्रीय राजनीति और वैश्विक आर्थिक नीतियों के बीच एक बार फिर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को $2.3 बिलियन डॉलर का नया कर्ज जारी किया है, जिससे आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को गहरा झटका लगा है।

पाकिस्तान को IMF से लगातार मिल रहा कर्ज:
एक ओर पाकिस्तान लंबे समय से आर्थिक संकट, विदेशी मुद्रा भंडार की कमी, और महंगाई की मार से जूझ रहा है, वहीं दूसरी ओर IMF जैसे वैश्विक संस्थान द्वारा बार-बार उसे आर्थिक राहत प्रदान की जा रही है। यह नया कर्ज पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को अस्थायी सहारा तो देगा, लेकिन इसके दीर्घकालिक प्रभाव पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

आतंकवाद को संरक्षण और फंडिंग का संदेह:
विशेष बात यह है कि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों और FAFT जैसी संस्थाओं ने पहले ही पाकिस्तान को आतंकी फंडिंग और आतंकवादी संगठनों को पनाह देने के आरोपों में लपेटा है। लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन पाकिस्तान की सरजमीं से संचालन करते हैं, जिससे भारत सहित कई देशों की सुरक्षा को सीधा खतरा रहता है।

आतंकी गतिविधियों पर लग सकता है आर्थिक ईंधन का आरोप:
विशेषज्ञों का मानना है कि IMF से मिलने वाला यह कर्ज पाकिस्तान की सरकार को आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों को छुपाकर आर्थिक संसाधन जुटाने में मदद कर सकता है। इससे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, दक्षिण एशिया की स्थिरता, और वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई कमजोर पड़ सकती है।

भारत सहित कई देशों की चिंता बढ़ी:
भारत ने अतीत में कई बार पाकिस्तान की आतंक समर्थक नीति को उजागर किया है। अब IMF द्वारा दिया गया यह नया कर्ज भारत की विदेश नीति और कूटनीतिक प्रयासों के लिए एक चुनौती बन सकता है।

IMF की पारदर्शिता पर सवाल:
आलोचकों का कहना है कि IMF जैसे संस्थानों को कर्ज देने से पहले उस देश की अंदरूनी नीतियों, आतंकवाद से संबंध, और वैश्विक दायित्वों का गहन विश्लेषण करना चाहिए।

निष्कर्ष:
इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की आर्थिक नीतियां और वैश्विक सुरक्षा एजेंडा कई बार परस्पर विरोधाभासी हो सकते हैं। IMF द्वारा पाकिस्तान को $2.3 बिलियन डॉलर का कर्ज देना न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से विवादित है, बल्कि यह आतंकवाद के खिलाफ चल रही वैश्विक मुहिम पर भी बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।

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