सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान: “भारत कोई धर्मशाला नहीं”, शरण याचिका खारिज करते हुए जताई नाराज़गी

नई दिल्ली: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में एक श्रीलंकाई नागरिक द्वारा दायर शरण याचिका को खारिज करते हुए कड़ा और साफ संदेश दिया है। अदालत ने टिप्पणी की कि “भारत कोई धर्मशाला नहीं है, जहां हम हर देश से आने वाले शरणार्थियों का स्वागत करते रहें।”
इस सख्त टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भारत पहले ही 140 करोड़ की आबादी और उससे जुड़ी सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है, ऐसे में हर विदेशी नागरिक को यहां शरण देना व्यावहारिक नहीं है।
क्या है मामला?
एक श्रीलंकाई नागरिक, जो UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत तीन साल से भारत में जेल में बंद है, उसने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दाखिल की थी कि उसे अपने देश में जान का खतरा है, इसलिए भारत में शरण दी जाए।
हालांकि कोर्ट ने यह याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह किसी और देश में शरण की कोशिश कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की प्राथमिकता अपने नागरिकों की सुरक्षा और संसाधनों का संतुलन बनाए रखना है, न कि हर अंतरराष्ट्रीय मामले में हस्तक्षेप करना।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी:
> “भारत कोई धर्मशाला नहीं है… क्या हमें पूरी दुनिया से आने वाले शरणार्थियों की मेजबानी करनी है? हम पहले से ही 140 करोड़ लोगों के साथ संघर्ष कर रहे हैं।”
क्या है UAPA?
UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) भारत का एक सख्त कानून है, जिसके तहत आतंकी गतिविधियों या देश की सुरक्षा को खतरे में डालने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।