
पटना। बिहार के पूर्व मंत्री तेजस्वी यादव ने बीजेपी पर आरक्षण विरोधी होने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि हमें पहले से ही संदेह था और अब पूरा विश्वास हो चुका है कि बीजेपी दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और अतिपिछड़ों के आरक्षण को बढ़ने से रोकने और समाप्त करने का प्रयास करेगी। हमारी सरकार के जाति आधारित सर्वे को भी बीजेपी ने हर स्तर पर रुकवाने की भरसक कोशिश की थी।
तेजस्वी यादव ने कहा कि बीजेपी और उसकी मानसिकता वाले लोग हमेशा ही सामाजिक न्याय और आरक्षण से जुड़े मामलों को अटकाने, भटकाने और लटकाने का कुचक्र रचते रहते हैं। कुछ लोग सामाजिक आर्थिक समानता के शुरू से ही कट्टर विरोधी रहे हैं। बाबा साहेब अंबेडकर और जननायक कर्पूरी ठाकुर की विचारधारा और संविधान से इन्हें नफ़रत है।
तेजस्वी यादव ने बताया कि उनकी सरकार ने लाखों नौकरियां प्रक्रियाधीन की थीं और आगामी नियुक्तियों में वंचित, उपेक्षित और उत्पीड़ित वर्गों के लाखों अभ्यर्थियों को इसका लाभ मिलना था। लेकिन आरक्षण की 75% सीमा को अटका दिया गया।
उन्होंने कहा कि जातिगत सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक करने के बाद आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 75% किया गया और इसे कैबिनेट से स्वीकृत कराने के बाद संविधान की 9वीं अनुसूची में डालने के लिए बीजेपी की केंद्र सरकार को भेज दिया गया था।
10 दिसंबर 2023 को पटना में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित पूर्वी क्षेत्र परिषद की बैठक में भी इसे 9वीं अनुसूची में डालने का आग्रह किया गया था, लेकिन 6 महीने बीतने के बाद भी बीजेपी सरकार ने ऐसा नहीं किया। इससे स्पष्ट होता है कि बीजेपी जातिगत जनगणना और आरक्षण के खिलाफ है।
तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार से हाईकोर्ट के फैसले के बाद अविलंब सुप्रीम कोर्ट जाने की अपील की। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो राजद सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगा। उन्होंने माननीय मुख्यमंत्री से भी मांग की कि वे सर्वदलीय डेलीगेशन के साथ प्रधानमंत्री से मिलें ताकि इसे 9वीं अनुसूची में डालने की पुरजोर वकालत की जा सके।
लोकसभा चुनाव 2024: इस मुद्दे पर तेजस्वी यादव ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में आरक्षण और जातिगत जनगणना हमारे प्रमुख मुद्दे होंगे। जनता के बीच जाकर हम बीजेपी के इस रवैये को उजागर करेंगे।
निष्कर्ष: तेजस्वी यादव का यह बयान आगामी चुनावों में बीजेपी और विपक्ष के बीच आरक्षण और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर एक बड़ी बहस को जन्म दे सकता है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि आरक्षण और जातिगत जनगणना के मुद्दे पर बीजेपी और विपक्ष के बीच गहरी खाई है।