
ताज होटल को बनने में करीब 14 साल लगे और इसे साल 1903 में गेस्ट के लिए खोला गया। इस भव्य होटल की नींव जमशेदजी टाटा ने डाली थी, जिन्होंने 1889 में अचानक ऐलान किया कि वे बॉम्बे में एक भव्य होटल बनाने जा रहे हैं।
जमशेदजी टाटा के इस ऐलान ने उनके परिवार में फूट डाल दी। टाटा की बहनें उनका विरोध करने लगीं। लेखक हरीश भट अपनी किताब ‘टाटा स्टोरीज’ में लिखते हैं कि जमशेदजी की एक बहन ने गुजराती में कहा, “आप बैंगलोर में साइंस इंस्टिट्यूट बना रहे हैं, लोहे का कारखाना लगा रहे हैं और अब कह रहे हैं कि भतारखाना (होटल) खोलने जा रहे हैं?”
हरीश भट लिखते हैं कि जमशेदजी टाटा के दिमाग में बॉम्बे में भव्य होटल बनाने का आइडिया यूं ही नहीं आया था, बल्कि इसके पीछे एक कहानी और बदले की भावना थी। उन दिनों बॉम्बे के काला घोड़ा इलाके में स्थित वाटसन्स होटल सबसे नामी हुआ करता था, लेकिन वहां सिर्फ यूरोप के लोगों को प्रवेश मिलता था।
एक बार जमशेदजी टाटा वहां पहुंचे, लेकिन उन्हें यूरोपियन न होने के चलते एंट्री नहीं मिली। यह बात उनके दिल में बैठ गई थी। इसके अलावा, उन दिनों बॉम्बे में एक भी ऐसा होटल नहीं था जो यूरोप या पश्चिमी देशों का मुकाबला कर सके। भट लिखते हैं कि जमशेदजी टाटा अक्सर अमेरिका, यूरोप और पश्चिमी देशों की यात्रा किया करते थे और वहां की होटल और दूसरी सुविधाओं को देखा था।
साल 1865 में ‘सैटरडे रिव्यू’ में एक लेख छपा, जिसमें लिखा गया था कि बॉम्बे को अपने नाम के अनुरूप अच्छा होटल कब मिलेगा? यह बात भी टाटा के दिल को लग गई थी।
जमशेदजी टाटा ने ताज होटल के लिए सामान खरीदने के लिए लंदन से लेकर बर्लिन तक के बाजार खंगाल डाले। ताज होटल भारत का ऐसा पहला होटल था जहां कमरों को ठंडा रखने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड बर्फ निर्माण संयंत्र लगाया गया था। होटल के लिए लिफ्ट जर्मनी से मंगवाई गई थी, तो पंखे अमेरिका से आए थे। हॉल के बाल रूम में लगाने के लिए खंभे पेरिस से आए थे।
उन दिनों ताज होटल की कुल लागत 26 लाख रुपये तक पहुंच गई थी। आखिरकार, साल 1903 में जब ताज होटल खोला गया, तब इसके कमरों का किराया 6 रुपये प्रति दिन रखा गया। यह लगभग अन्य होटलों के बराबर ही था। लेकिन पहले दिन होटल में महज 17 गेस्ट पहुंचे। आने वाले कुछ दिनों तक स्थिति लगभग ऐसी ही रही। ताज होटल के खर्चों ने जमशेदजी के सामने आर्थिक संकट खड़ा कर दिया। कुछ लोग इसे जमशेदजी का “सफेद हाथी” तक कहने लगे।
ताज होटल की इस ऐतिहासिक कहानी ने इसे आज एक प्रतिष्ठित और भव्य होटल के रूप में स्थापित कर दिया है, जो भारतीय आतिथ्य का प्रतीक है।