कांग्रेस शासन में सिखों ने झेला उत्पीड़न, लेकिन राहुल गांधी के बयानों में भी सच्चाई: ज्ञानी हरप्रीत सिंह
नई दिल्ली। तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने हाल ही में सिख समुदाय को लेकर बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान सिखों को गंभीर उत्पीड़न और नरसंहार का सामना करना पड़ा था। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा सिखों के बारे में की गई टिप्पणियां सही हैं। ज्ञानी हरप्रीत सिंह का मानना है कि सिख समुदाय के प्रति स्थिति में ज्यादा बदलाव नहीं आया है, और आज भी कठोर कानूनों का पहला निशाना सिख समुदाय ही बनता है।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सिखों के खिलाफ चलाए जा रहे “हेट प्रोपेगैंडा” का भी जिक्र किया, यह दावा करते हुए कि सिख समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने की मुहिम आज भी जारी है और इसमें इजाफा हो रहा है।
**प्रतिनिधिमंडल की गृह राज्य मंत्री से मुलाकात**
ज्ञानी हरप्रीत सिंह का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब हाल ही में सिख समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल ने गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद, प्रतिनिधिमंडल का दावा था कि राहुल गांधी के बयानों से सिख समुदाय की छवि को धक्का पहुंचा है।
**प्रतिनिधिमंडल में शामिल सिख नेता**
प्रतिनिधिमंडल में कई प्रमुख गुरुद्वारा समितियों के अधिकारी शामिल थे, जिनमें दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति, तख्त पटना साहिब समिति, हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक समिति, तख्त श्री हजूर साहिब प्रबंधक समिति के साथ-साथ कोलकाता, इंदौर, लखनऊ, हैदराबाद और झारखंड की गुरुद्वारा समितियों के अधिकारी मौजूद थे। इस अवसर पर हरियाणा समिति के प्रमुख भूपिंदर सिंह असंध, पटना के उपाध्यक्ष गुरविंदर सिंह, सदस्य मोहिंदरपाल सिंह ढिल्लों, डॉक्टर गुरमीत सिंह, हरपाल सिंह जोहल, हजूर साहिब बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. विजय सतबीर सिंह, झारखंड से शालजिंदर सिंह और अन्य प्रमुख सिख नेता उपस्थित थे।
**प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व**
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के प्रमुख सरदार हरमीत सिंह कालका, महासचिव सरदार जगदीप सिंह काहलों और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव सरदार मनजिंदर सिंह सिरसा ने किया।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह के इस बयान से सिख समुदाय में इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई है। सिख नेताओं और राहुल गांधी के बयानों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में सिख समुदाय और राजनीतिक दलों के बीच के रिश्ते किस दिशा में जाते हैं।