श्री केदारनाथ धाम के नाम से दिल्ली में मंदिर निर्माण पर शंकराचार्य की नाराजगी, उत्तराखंड सरकार और ट्रस्ट से सवाल

नई दिल्ली । देश की राजधानी दिल्ली में श्री केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर का भूमि पूजन किए जाने पर ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने नाराजगी जताई है। उन्होंने केदारनाथ धाम ट्रस्ट और उत्तराखंड राज्य सरकार से इस मुद्दे पर सवाल उठाते हुए कहा है कि आखिर क्यों केदारनाथ धाम के नाम से दिल्ली में मंदिर बनाने की आवश्यकता पड़ी है। शंकराचार्य ने इसे केदारनाथ धाम की गरिमा और महत्व को कम करने का कुत्सित प्रयास बताया।
मुख्य बिंदु
1. शंकराचार्य की नाराजगी: ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने केदारनाथ धाम के नाम से दिल्ली में मंदिर निर्माण पर नाराजगी जताई।
2. केदारनाथ धाम का महत्व: उन्होंने कहा कि मध्य हिमालय स्थित केदारनाथ बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे पुराणों में हिमालय तू केदारम कहा गया है। यह ज्योतिर्लिंग सतयुग का ज्योतिर्लिंग कहा गया है।
3. मंदिर निर्माण पर सवाल: शंकराचार्य ने कहा कि केदारनाथ धाम के अस्तित्व और महत्व को कम करने की किसी भी योजना को सफल नहीं होने दिया जाएगा।
4. राजनीतिक हस्तियों की उपस्थिति: शंकराचार्य ने कहा कि एक निजी ट्रस्ट द्वारा आयोजित भूमि पूजन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री और विधायकों की उपस्थिति उचित नहीं है और उत्तराखंड राज्य सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।
5. नाम का मुद्दा: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि केदारनाथ धाम के नाम से कहीं भी मंदिर की स्थापना नहीं की जा सकती है। यदि मंदिर की स्थापना ही करनी है, तो किसी अन्य नाम से मंदिर स्थापित किया जा सकता है, इस पर कोई आपत्ति नहीं है।
शंकराचार्य ने संबंधित लोगों से जन भावनाओं का आदर करते हुए इस तरह के कृत्य नहीं करने की सलाह दी है। यह मुद्दा केदारनाथ धाम की धार्मिक गरिमा और महत्व को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है और इसे लेकर जनता में भी गहरा असर हो रहा है।