राखी का त्योहार: भाई-बहन के रिश्ते की अनमोल कीमत और बदलती धरोहर
प्यार के इस बंधन को रुपये और पैसे के तराजू में न तौलें: वंदना द्विवेदी
राखी का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्यार, विश्वास और रिश्तों की मजबूती का प्रतीक है। यह त्योहार उस प्यार के धागे का प्रतीक है जिसमें सच्चाई छिपी होती है। इस प्यार को शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल है; यह केवल महसूस किया जा सकता है।
समय के साथ, इस प्यार का बंधन रुपये और पैसे के तराजू में तौला जाने लगा है। मौली का धागा अब महंगे रियो और उपहारों में बदल गया है। आजकल यह देखा जाता है कि लोग यह आंकने लगे हैं कि किसने सबसे महंगी राखी रखी या किसके उपहार सबसे महंगे थे। इस पारंपरिक रिश्ते का भावनात्मक मूल्य अब रूपये और पैसे में नापा जा रहा है।
पिछले समय में, बहनें भाई को तिलक करके राखी बांधती थीं, मिठाई खिलाती थीं, और भाई खुशी से पापा द्वारा दिए गए दो रुपए के नोट को बहन को देते थे। यह नोट बहन को लेने के लिए जिद करनी पड़ती थी। पूरा परिवार मिलकर भोजन करता था और बहन भाई की आरती उतारते हुए उसे फलने-फूलने और स्वस्थ रहने का आशीर्वाद देती थी। भाई उसकी हर स्थिति में रक्षा का वचन देता था, जो समाज में शांति और सुरक्षा का माहौल बनाता था।
आज परिस्थितियाँ बदल गई हैं। जब त्योहार ने व्यवसायिक रूप ले लिया है और प्यार और विश्वास के इस त्योहार का स्वरूप विकृत हो गया है, तब समाज की दिशा भी बदल गई है। हमें राखी के इस पवित्र त्योहार पर संकल्प लेना चाहिए कि भाई-बहन के इस अटूट बंधन को कभी टूटने नहीं देंगे और परिवार तथा समाज में प्यार का माहौल बनाए रखने में सहभागी बनेंगे। राखी का त्योहार, भाई-बहन का प्यार, राखी का महत्व, प्यार और विश्वास, राखी की पारंपरिक मान्यता, त्योहार का व्यवसायिक रूप]