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नीट और नेट परीक्षाओं में धांधली: विपक्ष का हंगामा और सरकार की परेशानी

नई दिल्ली: बीजेपी के लिए चुनौतियाँ कम नहीं हो रहीं। पूर्ण बहुमत न पाने के बाद अब नीट और नेट परीक्षाओं में धांधली का मामला सामने आ गया है। देशभर में लाखों छात्र आंदोलन कर रहे हैं, यहाँ तक कि जो छात्र नीट में शामिल नहीं हुए, वे भी प्रदर्शन में शामिल हैं। विपक्ष इस मुद्दे पर सड़कों पर उतर आया है और एनटीए (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है।

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पहले एनटीए को क्लीन चिट दी थी, लेकिन बाद में बढ़ते विवाद के चलते दोषी ठहराया। इससे सरकार की साख पर सवाल उठे हैं।

सुप्रीम कोर्ट की तारीख और प्रधानमंत्री की चुप्पी:
सुप्रीम कोर्ट ने इस ज्वलंत मुद्दे पर सुनवाई के लिए 20 दिन बाद की तारीख दी है, जो हैरान करने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो हर साल छात्रों से परीक्षा पर चर्चा करते हैं और युवाओं के प्रति जागरूक रहते हैं, उनकी इस मामले पर चुप्पी आश्चर्यजनक है। प्रधानमंत्री को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।

परीक्षा रद्द करने का दुष्परिणाम:
परीक्षाएं रद्द करने का नुकसान उन छात्रों को होगा जिन्होंने अपनी मेहनत से अच्छी मेरिट हासिल की है। पेपर लीक की वजह से सभी 24 लाख परीक्षार्थियों तक पेपर नहीं पहुंच पाया। इससे उन छात्रों को भारी नुकसान होगा जो ईमानदारी से परीक्षा में शामिल हुए थे। इसी कारण सरकार और सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर सोच-विचार कर रहे हैं।

कोचिंग सेंटर्स की भूमिका:
बार-बार पेपर लीक के पीछे कोचिंग सेंटर्स का हाथ है, जो मोटी रकम लेकर मेरिट में लाने की गारंटी देते हैं। ये सेंटर्स अरबों रुपयों का काला बाजार चला रहे हैं। कोटा और पटना के कोचिंग सेंटर्स पेपर लीक के प्रमुख कारण हैं। इन सेंटर्स की गतिविधियों पर सरकार के पास कोई ठोस उपाय नहीं है।

सीबीएससी बनाम एनटीए:
जब तक नीट परीक्षाएं सीबीएससी बोर्ड द्वारा संचालित होती थीं, तब तक ऐसी समस्याएं नहीं आईं। एनटीए द्वारा संचालित राष्ट्रीय परीक्षा में भारी विवाद उत्पन्न हो गया है, जो मोदी सरकार के लिए बड़ी समस्या बन गई है। प्रधानमंत्री मोदी की बड़ी घोषणाओं के बावजूद, नीट और नेट की विफलता ने उनकी गति को धीमा कर दिया है।

विपक्ष की रणनीति और संसद का माहौल:
विपक्ष इस मुद्दे को भुनाने में जुट गया है और संसद में जोरदार हंगामे की तैयारी कर रहा है। नीट परीक्षा की विफलता विपक्ष के लिए सरकार पर हमला करने का बड़ा हथियार बन गई है। इस बार संसद में कितना हंगामा होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

नीट और नेट परीक्षाओं में धांधली ने देशभर में छात्रों और विपक्ष को एकजुट कर दिया है। सरकार पर दबाव बढ़ रहा है और प्रधानमंत्री की चुप्पी इस मामले को और भी गंभीर बना रही है। अब देखना यह है कि सरकार इस मुद्दे को कैसे संभालती है और छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए क्या कदम उठाती है।

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