
सहारनपुर: 7 फरवरी 1968 को भारतीय वायुसेना का AN-12 विमान हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें भारतीय सेना के कई जवान सवार थे। इस हादसे के बाद दुर्गम पहाड़ी इलाके और प्रतिकूल मौसम की वजह से शहीद सैनिकों के पार्थिव शरीर का पता नहीं लगाया जा सका था। लेकिन, भारतीय सेना ने अपने ‘नो मैन लेफ्ट बिहाइंड’ सिद्धांत के तहत लगातार खोज अभियान जारी रखा।
56 वर्षों की लंबी खोज के बाद, शहीद जवान सिपाही मलखान सिंह का पार्थिव शरीर आखिरकार बरामद कर लिया गया और सहारनपुर के उनके पैतृक गांव में पहुंचाया गया।
सिपाही मलखान सिंह के पार्थिव शरीर को उनके परिवार और ग्रामीणों ने पूरे सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी। इस दौरान सेना के अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की। decades से जारी इस खोज अभियान में भारतीय सेना के अटूट समर्पण और हर शहीद जवान को सम्मान के साथ घर वापस लाने के प्रयास को सलाम किया गया।
भारत का सबसे लंबा चलने वाला खोज अभियान: भारतीय सेना और बचाव दल का यह अभियान देश के सबसे लंबे चलने वाले खोज अभियानों में से एक माना जा रहा है। यह अभियान हमारे सैनिकों के प्रति सेना की प्रतिबद्धता और उनकी अदम्य साहस का प्रमाण है। इस सफलता के पीछे भारतीय सेना और बचाव दल के अथक प्रयास और दृढ़ संकल्प शामिल हैं।
शहीद मलखान सिंह को श्रद्धांजलि: 56 साल बाद शहीद सिपाही मलखान सिंह के पार्थिव शरीर के घर लौटने पर परिवार ने राहत की सांस ली और गांव के लोगों ने गर्व के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी। भारतीय सेना और उनके खोज दल की इस सफलता के लिए पूरे देश ने आभार प्रकट किया है।


