
नई दिल्ली । एक्स हैंडल पर मनीष सिंह ने NTA के सीईओ सुबोध कुमार सिंह पर पेपर लीक मामले में अपनी राय दी। मनीष ने बताया कि सुबोध कुमार सिंह 2002-03 के दौरान उनके जिले के कलेक्टर थे। वे जहीन, अल्पभाषी, बेहद समझदार, आदरणीय, विनम्र और नो-नॉनसेंस व्यक्तित्व के धनी थे।
मनीष ने कहा कि वे कम से कम 10 बार सुबोध कुमार सिंह से मिले होंगे, और हर मुलाकात 60 सेकेंड से ज्यादा नहीं थी। “जब आप उनसे बात करना शुरू करते, तो वे 30 सेकेंड में आपकी बात समझ जाते,” मनीष ने कहा। “आप जो सोचकर आए हों, जो कहना चाहते हों, वे सब समझ जाते। उनकी अद्वितीय समझ और टेलीपैथी जैसी क्षमता थी। 45वें सेकंड में वे सिर हिलाते और संकेत देते कि वे समझ गए हैं। वे कहते, ‘कागज छोड़ दो, और जाओ।'”
मनीष ने यह भी साझा किया कि उन्हें हमेशा लगता था कि उनकी बात नहीं सुनी गई, लेकिन हर बार ठीक वही नोट शीट पर होता था जो वे कहना चाहते थे और जिस एक्शन की जरूरत थी। “मैंने तब सोचा, ‘क्या ही ब्रिलिएंट बन्दा है, जीनियस है।’ मैंने उनके बराबर का कोई अफसर नहीं देखा,” मनीष ने कहा।
अब, सुबोध कुमार सिंह NTA (National Testing Agency) के सीईओ हैं, जो हाल ही में पेपर लीक के कारण बदनाम हो रही है। मनीष ने अपनी टिप्पणी में कहा, “मुझे एक चीज का यकीन है: जहाँ सुबोध कुमार सिंह हैं, वह चीज एफिशिएंट होगी। और अगर नहीं है, तो या तो वह जगह ही गड़बड़ है, या वे पूरी तरह कमांड में नहीं हैं।”
### पेपर लीक विवाद में सुबोध कुमार सिंह की भूमिका पर सवाल
मनीष सिंह की टिप्पणी से यह स्पष्ट होता है कि सुबोध कुमार सिंह का प्रशासनिक कौशल और नेतृत्व क्षमता पर कोई संदेह नहीं है। हालांकि, NTA के हालिया विवादों ने उनकी प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं और अपने कौशल का उपयोग करके NTA की विश्वसनीयता को बहाल कैसे करते हैं।