जिउतिया पर्व: संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए माताओं का विशेष व्रत
लेख : गीतावली सिन्हा
**नई दिल्ली:** भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़े तमाम पर्वों में जिउतिया का विशेष स्थान है। यह पर्व माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी उम्र, स्वास्थ्य, और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। यह पर्व हर साल अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है, और नवमी तिथि को व्रत का पारण (समापन) होता है।
### **जिउतिया पर्व का धार्मिक महत्व:**
जिउतिया पर्व का धार्मिक और पौराणिक महत्व बहुत गहरा है। इस पर्व को जीमूतवाहन की कथा से जोड़ा गया है, जिसमें महिलाएं पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने वाली महिलाएं अपने बच्चों के लिए दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं। यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है।
### **व्रत की शुरुआत:**
जिउतिया व्रत की शुरुआत ‘नहाय-खाय’ की परंपरा के साथ होती है। इस दिन महिलाएं पवित्र नदी में स्नान करके व्रत का संकल्प लेती हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं। इसके बाद अगले दिन निर्जला व्रत रखा जाता है, जिसमें महिलाएं बिना अन्न और पानी के व्रत करती हैं।
### **पूजा-विधि और विशेष पकवान:**
इस व्रत की पूजा-विधि में झिंगनी और नोनी के साग का विशेष महत्व होता है। इसके अलावा, महिलाएं ‘ओठगन’ नामक पकवान बनाती हैं, जो एक प्रकार का ठेकुआ होता है। इसे गुड़, आटा और घी से तैयार करके तला जाता है। व्रत के दौरान बिना लहसुन-प्याज के शुद्ध सात्विक भोजन तैयार किया जाता है।
### **कथा का महत्व:**
जिउतिया व्रत के दौरान महिलाएं ‘चिल्ही’ और ‘सियारिन’ की कथा सुनती हैं। यह कथा उस समय की है, जब गरुड़ देवता आकर बच्चों को उठा ले जाते थे, और माताएं शोकाकुल रहती थीं। तब जीमूतवाहन ने गरुड़ को रोककर माताओं की पीड़ा को समाप्त किया। तभी से इस पर्व की शुरुआत मानी जाती है, जिसमें माताएं अपने बच्चों की रक्षा के लिए व्रत करती हैं।
### **पूजा की विशेष परंपरा:**
इस व्रत के दौरान महिलाएं गले में रेशम की माला और सोने-चांदी के आभूषण धारण करती हैं, और संतान की सलामती के लिए पूरे विधि-विधान से पूजा करती हैं। व्रत का पारण (समापन) नवमी तिथि को विभिन्न पकवानों के साथ किया जाता है। इस दिन महिलाएं तरह-तरह के व्यंजन बनाती हैं और अपने व्रत को संपन्न करती हैं।
### **विभिन्न राज्यों में जिउतिया का महत्व:**
जिउतिया पर्व की महत्ता केवल एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे देश के विभिन्न हिस्सों में भी अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है। बिहार और झारखंड में इसे ‘जीवित्पुत्रिका व्रत’ के नाम से भी जाना जाता है, जबकि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कई इलाकों में इसे ‘जिउतिया’ कहा जाता है।
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इस प्रकार, जिउतिया पर्व भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपराओं और मातृ-स्नेह की एक अनूठी मिसाल है, जो माताओं द्वारा अपने बच्चों की दीर्घायु और स्वास्थ्य के लिए किया जाता है। श्रद्धा और आस्था से जुड़ा यह पर्व हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहरों की याद दिलाता है।