
नई दिल्ली । आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद का कहना है कि वह लोकतंत्र के मंदिर में दलितों, वंचितों और गरीबों की आवाज उठाएंगे। एक समाचार चैनल से खास बातचीत में चंद्रशेखर आजाद ने बताया कि वह हमेशा मुद्दों की राजनीति करते रहे हैं और संसद में भी वह वंचितों और गरीबों से जुड़े मुद्दों को उठाएंगे। इसके साथ ही चंद्रशेखर आजाद ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था से लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा भतीजे आकाश आनंद को फिर से उत्तराधिकारी घोषित करने तक से जुड़े सवालों पर खुलकर अपने विचार रखे।
पहली बार संसद पहुंचे चंद्रशेखर आजाद ने लोकतंत्र की आधारशिला रखने वाले सभी महानपुरुषों को धन्यवाद दिया और कहा कि भारत के संविधान को खासतौर पर धन्यवाद, जिससे अवसर मिला और हम इस संसद के मंदिर में पहुंच पाए। संविधान की प्रति लेकर संसद भवन पहुंचे आजाद ने बताया, मैं हर वो मुद्दा संसद में उठाऊंगा, जो जनता को प्रभावित करता है, और जिन विषयों पर बात होनी चाहिए। हम उन सभी विषयों को सदन में उठाएंगे। मुद्दों पर ही हमेशा बात होनी चाहिए। मैं कभी धर्म की राजनीति में नहीं करता हूं। मेरी राजनीति हमेशा विषयों पर आधारित रही है। मैंने हमेशा मुद्दों पर ही बात करूंगा। फिर वो चाहे महंगाई हो या फिर बेरोजगारी। वंचित वर्गों पर जो अन्याय हो रहा है, सबसे ज्यादा तकलीफ मुझे इस बात की होती है।
उत्तरप्रदेश की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए चंद्रशेखर आजाद ने कहा, यूपी में जिस तरह का अन्याय हो रहा है, वो किसी से छिपा नहीं है। गाजियाबाद में दो दिन पहले ही 2 लोगों की हत्या हुई है। फिरोजाबाद में पुलिस की कस्टडी में एक लड़के की मौत हो गई है। दो लड़कों की अलीगढ़ में मौत हुई है। बेहद बुरे हालात हैं। जब लोगों का जीवन बचेगा, तभी तो अन्य चीजों की बात होगी। अगर कोई शख्स जीवित रहेगा, तभी तो रोजगार के लिए लड़ सकेगा।
देश के राजनीतिक हालात पर बात करते हुए आजाद ने कहा, हमारे जैसी आर्थिक स्थिति के लोगों का यहां तक आना बड़ी बात है, क्योंकि भारत में ज्यादातर पैसे वाले लोग ही राजनीति में आगे बढ़ रहे हैं। जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं, जिनके पीछे बहुत बड़ी लिगेसी नहीं है, उन लोगों को ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है, उन्हीं में से मैं एक हूं।
चंद्रशेखर आजाद दलितों, अल्पसंख्यकों और गरीबों के मुद्दों पर हमेशा बढ़-चढ़कर बोलते हैं। उन्होंने बताया, मैं कोशिश करूंगा कि लोकतंत्र के मंदिर से एक मजबूत आवाज उठे। हर उस वंचित के लिए जो ये उम्मीद कर रहा है कि उसके लिए कोई बोलेगा। मैं उनकी आवाज उठाने के लिए यहां आया हूं, जिनकी आवाज कोई नहीं उठा रहा