
बिहार के अररिया में बकरा नदी पर बना पुल उद्घाटन से पहले ही ढह गया। यह घटना राज्य में चल रहे व्यापक भ्रष्टाचार का जीता-जागता सबूत है। इस पुल की लागत 12 करोड़ रुपये थी, जो बीजेपी और जेडीयू की गठबंधन सरकार के अधीन निर्मित हुआ था। पुल के ढहने का कारण भ्रष्टाचार और निर्माण कार्य में लापरवाही बताया जा रहा है।
देश में अक्सर विकास कार्यों के लिए आवंटित बजट का केवल 20-30% ही सही उपयोग होता है, जबकि 70% धनराशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। यह मामला भी इसी ओर इशारा करता है। सौभाग्य से, पुल के उद्घाटन से पहले ढह जाने के कारण कई निर्दोष लोगों की जान बच गई। अगर यह पुल चालू होने के बाद गिरता, तो इससे कई मासूमों की जान जा सकती थी।
राजनीतिक नेताओं प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने इस मुद्दे को उठाने की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने सवाल किया कि बिहार सरकार की यह कैसी लापरवाही है कि उनके बनाए पुल उद्घाटन से पहले ही गिर जाते हैं। इस भ्रष्टाचार का खामियाजा गरीब जनता को भुगतना पड़ रहा है, जिनकी बड़ी संख्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करती है।
सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर काफी आलोचना हो रही है। एक्स हैंडल पर देवेंद्र पटेल ने पूछा कि किस कंपनी ने यह पुल बनाया और उसकी चंदा सूची की जांच होनी चाहिए। एक अन्य व्यक्ति ने लिखा कि मोदी सरकार में जितने भी पुल बने हैं, सब गिर रहे हैं। वहीं, एक अन्य ने सुझाव दिया कि इस पुल के निर्माण में शामिल कंपनी से 12 करोड़ रुपये वसूले जाने चाहिए या फिर उन्हें इसे दोबारा बनाना चाहिए।
यह घटना बिहार में विकास के दावों की पोल खोलती है और यह स्पष्ट करती है कि भ्रष्टाचार की वजह से सार्वजनिक कार्यों की गुणवत्ता पर कितना बुरा असर पड़ रहा है। सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।

