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लखनऊ की एससी/एसटी अदालत का बड़ा फैसला: झूठा अत्याचार मामला दर्ज करने वाली महिला को 3.5 साल की सज़ा, अदालत ने कहा  कानून का दुरुपयोग खतरनाक प्रवृत्ति

लखनऊ । लखनऊ की विशेष एससी/एसटी अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए झूठा अत्याचार मामला दर्ज करने वाली महिला को साढ़े तीन साल की सज़ा सुनाई है। अदालत ने टिप्पणी की कि मुआवज़े के लिए एससी/एसटी एक्ट का दुरुपयोग समाज के लिए खतरनाक प्रवृत्ति बनता जा रहा है, जिसे रोकना अत्यंत आवश्यक है। यह फैसला न्याय व्यवस्था में सत्य की जीत और झूठे मामलों के खिलाफ सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

राजधानी लखनऊ की एससी/एसटी विशेष अदालत ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसने कानून के दुरुपयोग पर सख्त रुख दिखाया है। अदालत ने पाया कि एक महिला ने झूठा अत्याचार मामला दर्ज कर मुआवज़ा हासिल करने की कोशिश की थी। पर्याप्त सबूतों और गवाहों की गवाही के बाद यह साबित हुआ कि मामला पूरी तरह से मनगढ़ंत था।

अदालत ने आरोपी महिला को 3 साल 6 महीने की सश्रम कारावास और जुर्माने की सज़ा सुनाई। न्यायाधीश ने कहा कि एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम कमजोर वर्गों की सुरक्षा के लिए है, न कि व्यक्तिगत लाभ या बदले की भावना से उपयोग के लिए। इस प्रकार के झूठे मामलों से न केवल निर्दोष लोगों की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती है, बल्कि वास्तविक पीड़ितों के न्याय की राह भी कठिन हो जाती है।

अदालत ने राज्य सरकार से यह भी कहा कि इस प्रकार के फर्जी एससी/एसटी मामलों की जांच के लिए विशेष मॉनिटरिंग सेल गठित किए जाएं ताकि कानून का दुरुपयोग रोका जा सके।

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