लखनऊ के अनिल का दावा: दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक मंत्रियों के स्टाफ में अगड़ी जातियों का वर्चस्व

लखनऊ । लखनऊ के निवासी अनिल ने सोशल मीडिया पर एक चौंकाने वाला दावा किया है कि चाहे सरकार किसी भी पार्टी की हो—सपा, बसपा, या RJD—इन पार्टियों के दलित, पिछड़े या अल्पसंख्यक समाज के मंत्रियों के निजी स्टाफ में 90 फीसदी लोग अगड़ी जातियों के होते हैं।
अनिल के अनुसार, “ये पर्सनल स्टाफ मंत्री जी के कार्यकाल में जमकर माल कमाता है, और सरकार जाने पर यही लोग सब पोल पट्टी खोलकर मंत्री को फंसा भी देते हैं। जब मंत्री जी फंस जाते हैं, तब उन्हें अपना समाज याद आता है, और कहते हैं कि उन्हें जाति की वजह से फंसाया गया है।”
अगड़ी जातियों के मंत्रियों का स्टाफ प्रबंधन
अनिल ने यह भी कहा कि अगड़ी जातियों के मंत्री अधिक होशियार होते हैं और अपने जाति बिरादरी पर ही भरोसा करते हैं। “वे अपने जाति बिरादरी के लोगों को ही पर्सनल स्टाफ बनाते हैं, और दोनों मिलकर सुरक्षित तरीके से माल पीटते हैं,” अनिल ने बताया।
सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने का आरोप
अनिल ने राजू दास पर भी निशाना साधा, जो सोशल मीडिया पर जात पात और धर्म के नाम पर नफरत फैलाते हैं। उन्होंने कहा, “इनको लगता है कि ऐसा करके ये एक दिन अयोध्या के मेयर या सांसद बन जाएंगे।”
### अयोध्या में BJP की हार के बाद विवाद
राजू दास ने अयोध्या में BJP की हार के बाद हो रही समीक्षा बैठक में बड़े नेताओं के सामने अयोध्या के DM से कड़ा टकराव किया। इसके परिणामस्वरूप, DM ने उनकी सुरक्षा में तैनात गनर वापस ले लिए। अब, राजू दास इस कदम पर पछता रहे हैं।
अनिल के ये आरोप दर्शाते हैं कि राजनीतिक दलों के भीतर जातिगत वर्चस्व और सत्ता का दुरुपयोग एक गंभीर मुद्दा है। जनता और राजनीतिक विश्लेषकों को इस पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि सभी वर्गों का सही प्रतिनिधित्व और उनके अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।