
Tamilnadu । 7 साल की बच्ची संयुक्ता नारायणन ने ताइक्वांडो में अपनी असाधारण काबिलियत और मेहनत से दुनिया की सबसे कम उम्र की ताइक्वांडो प्रशिक्षक बनने का रिकॉर्ड बनाया है, जिससे उसने न सिर्फ तमिलनाडु बल्कि पूरे भारत का नाम रोशन किया है। संयुक्ता का यह कारनामा प्रेरणा देने वाला है, क्योंकि एक छोटी सी बच्ची ने न केवल ताइक्वांडो के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल की है, बल्कि यह साबित कर दिया कि उम्र कोई भी हो, अगर मेहनत और जुनून हो तो किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
संयुक्ता नारायणन तमिलनाडु के मदुरै शहर की रहने वाली हैं, और उनकी ताइक्वांडो यात्रा ने उन्हें मात्र 7 साल की उम्र में एक असाधारण मुकाम तक पहुंचा दिया। यह कोई साधारण उपलब्धि नहीं है, क्योंकि ताइक्वांडो जैसे शारीरिक और मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण खेल में प्रशिक्षक बनने के लिए एक गहरी समझ, परिपक्वता और अनुशासन की आवश्यकता होती है। संयुक्ता ने अपनी कड़ी मेहनत, समर्पण और असाधारण क्षमता के दम पर इस कठिन कार्य को सफलतापूर्वक पूरा किया।
संयुक्ता के ताइक्वांडो के प्रति प्यार और जुनून ने उन्हें इस दिशा में पहला कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। मात्र 3 साल की उम्र में ताइक्वांडो की ओर रुझान बढ़ाने वाली संयुक्ता ने अपनी माँ से प्रेरणा ली और ताइक्वांडो में प्रशिक्षण लेना शुरू किया। शुरूआत में वह केवल एक सामान्य छात्रा थीं, लेकिन जैसे-जैसे उन्होंने इस खेल में गहरी रुचि दिखानी शुरू की, उनकी मेहनत और प्रतिबद्धता ने उन्हें तेजी से तरक्की की ओर अग्रसर किया। संयुक्ता की इच्छाशक्ति और संघर्ष ने उसे जल्दी ही अपनी कला में निपुण बना दिया।
7 साल की छोटी सी उम्र में ताइक्वांडो प्रशिक्षक बनने का यह रिकॉर्ड उनके समर्पण और कड़ी मेहनत का परिणाम है। उन्होंने न केवल ताइक्वांडो के मूलभूत सिद्धांतों को सीखा, बल्कि दूसरों को भी सिखाने में सक्षम हुईं। उनके प्रशिक्षक भी उनकी प्रतिभा से प्रभावित हुए और उन्होंने उन्हें प्रशिक्षक बनने के लिए प्रोत्साहित किया। संयुक्ता ने अपनी क्षमता को साबित किया और इस खेल में एक नई पहचान बनाई।
संयुक्ता की सफलता ने यह साबित कर दिया कि अगर कोई बच्चा अपने सपने के प्रति प्रतिबद्ध हो और उसे हासिल करने के लिए मेहनत करे, तो उम्र की कोई सीमा नहीं होती। संयुक्ता के लिए ताइक्वांडो सिर्फ एक खेल नहीं है, बल्कि एक जीवनशैली है, जिसमें वह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ-साथ अनुशासन, आत्मविश्वास और आत्म-निर्भरता जैसे महत्वपूर्ण गुणों को भी सिखाती हैं।
संयुक्ता की यह उपलब्धि केवल उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम नहीं है, बल्कि यह उन सभी बच्चों के लिए प्रेरणा है जो अपनी उम्र के हिसाब से किसी भी बड़े लक्ष्य को पाने का सपना देखते हैं। संयुक्ता ने यह साबित कर दिया कि जब निश्चय दृढ़ हो और प्रयास सच्चे हों, तो कोई भी सपना छोटा नहीं होता। अब संयुक्ता सिर्फ एक ताइक्वांडो प्रशिक्षक नहीं, बल्कि एक आदर्श बन गई हैं, जो हर बच्चे को यह सिखाती हैं कि अगर हम अपने जुनून को सही दिशा में लगाते हैं, तो हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।