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नारी शक्ति वंदन विधेयक राज्यसभा में भी पारित, अब सदन में 33% नारी शक्ति

लोकसभा और विधानसभाओं में ३३ प्रतिशत महिलाओं के पहुंचने का रास्ता साफ

नई दिल्ली । नारी शक्ति वंदन विधेयक को राज्यसभा से भी मंजूरी मिलने के बाद अब देश विधानसभाओं और लोकसभा में महिलाओं को ३३ प्रतिशत आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हो गया है। इसका अर्थ यह है कि अब देश की विधानसभाओं और लोकसभा में ३३ प्रतिशत महिलाएं चुनकर आएंगी। आज राज्यसभा में लगभग १२ घंटे चली लंबी बहस के बाद विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया। विधेयक के पक्ष में २१५ और विपक्ष में शून्य मत पड़े। राज्यसभा से पारित होने के बाद अब इसे अनुमोदन के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। जहां स्वीकृति मिलने के बाद यह संशोधन विधेयक कानून बन जाएगा। इसके साथ ही महिला आरक्षण के लिए लगभग ३ दशक से चल रहा महिलाओं का संघर्ष एक सुखद परिणिती की तरफ पहुंच गया है। संसद के विशेष सत्र के इससे पहले चौथे दिन राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पर चर्चा हुई। सबसे पहले अर्जुनराम मेघवाल ने बिल पेश किया। इसके बाद कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने बिल के नाम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि महिलाओं को वंदन नहीं, समानता चाहिए। इसके बाद भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा- ये बिल महिलाओं पर अहसान नहीं, बल्कि उनका वंदन और अभिनंदन है। अगर ये बिल आज पास होता है तो 2029 तक 33त्न महिलाएं सांसद बनकर आ जाएंगी। वहीं, खडग़े ने कबीर का दोहा काल करे सो, आज कर सुनाया और तुरंत आरक्षण लागू करने की मांग की। जेपी नड्डा ने जवाब दिया कि भाजपा का उद्देश्य राजनीतिक फायदा लेने का नहीं है। ्र सरकार नियमों से काम करती है और पक्का काम करने में विश्वास रखती है। इस पर विपक्षी सांसद नो-नो करने लगे तो नड्डा ने कहा कि कि नो-नो करने वालों को शासन करना नहीं आया। अगर शासन करना आता तो पता होता कि नियम-कानून भी कोई चीज है। उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि जो सिल्वर स्पून के साथ पैदा होते हैं, उन्हें गरीबों की परेशानियां नहीं पता होतीं। एक लीडर को लीडर बनना पड़ता है, सिखाए हुए बयान देने से काम नहीं चलता।

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