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पुरानी पेंशन योजना लागू करने क विधायक त्रिपाठी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

Demand to restore the old pension system of employees : सतना जिले की मैहर विधानसभा से बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होने शासकीय कर्मचारियों की पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने की मांग की है। उन्होने लिखा है कि आने वाले समय में कई राज्यों में चुनाव होना है और इन चुनावों में पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा प्रमुख है। इस मामले को लेकर पार्टी के प्रति भी कर्मचारियों में आक्रोश है। इस आक्रोश को समाप्त करने व इन कर्मचारियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उन्होने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग की है।

बीजेपी विधायक द्वारा लिखा गया पत्र

अपने पत्र में नारायण त्रिपाठी ने लिखा है कि “शासकीय कर्मचारियों द्वारा अपने जीवन के महत्वपूर्ण 35 से 40 वर्षों तक अपनी निष्ठा एवं कर्तव्यपरायणता के साथ शासकीय दायित्वों का निर्वहन किया जाता है। एनपीएस व्यवस्था में अधिवार्षिकी आयु पूर्ण करने पर इन लोकसेवकों को प्राप्त होने वाली पेंशन अनुपयुक्त एवं अत्यंत न्यून है। जिससे कर्मचारियों को वृद्धावस्था में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। न्यू पेंशन स्कीम में कुछ कर्मचारियों को तो पांच-सात सौ रुपए मासिक ही पेंशन के रूप में मिल रहें हैं, इतनी कम राशि में परिवार पालन, बीमारी व अन्य जिम्मेदारियों का निर्वहन कर पाना संभव नहीं है। पेंशनधारी होने के कारण इन्हें अन्य योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पाता। देश भर में इस योजना से कर्मचारी असंतुष्ट हैं और अपने भविष्य को असुरक्षित मानते हैं। कुछ राज्य सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर कर्मचारियों के हित में निर्णय लिया है। आगामी समय में कई राज्यों में चुनाव होना है, इन चुनावों में पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा प्रमुख है। इस मामले को लेकर पार्टी के प्रति भी कर्मचारियों में आक्रोश है। इस आक्रोश को समाप्त करने व इन कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिये पुरानी पेंशन बहाली आवश्यक है।

 निवेदन है कि लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में कर्मचारी शासन तंत्र की रीढ़ है, जिसे मजबूत बनाए रखना हम सभी का नैतिक कर्तव्य है। इन लोकसेवकों की खुशहाली के लिए देश भर में एनपीएस के स्थान पर पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल किए जाने की कृपा करें ताकि सेवानिवृत्ति के बाद के जीवन को वे बिना परेशानी और बिना आर्थिक तंगी के जी सकें।”

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