Life long ban on convicted public representatives from contesting elections : दोषी पाए गए जनप्रतिनिधियों के आजीवन चुनाव लड़ने पर लगे रोक

एमिकस क्यूरी ने अपनी रिपोर्ट में की सिफारिश
Life long ban on convicted public representatives from contesting elections up : सांसदों-विधायकों के खिलाफ आपराधिक केस से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एमिकस क्यूरी बनाए गए वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दोषी ठहराए गए जनप्रतिनिधियों को सिर्फ छह साल नहीं बल्कि आजीवन चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित करने की सफारिश की हैं। शीर्ष अदालत द्वारा एमिकस क्यूरी नियुक्ति के बाद से यह उनकी 19वीं रिपोर्ट है। मुख्य न्यायाधीश सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष पेश होने वाली अपनी रिपोर्ट में हंसारिया ने कहा, सांसद और विधायक आमजन की संप्रभु इच्छा का प्रतिनिधित्व करते हैं और एक बार नैतिक अधमता से जुड़ा अपराध करते हुए पाए जाने पर, उन्हें उस पद को संभालने से स्थायी रूप से अयोग्य ठहराया जाना चाहिए।
हंसारिया ने अपनी रिपोर्ट में सिविल सेवकों से संबंधित नियमों की ओर इशारा किया है, जो अनैतिक कार्यों से जुड़े किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए कर्मचारियों को बर्खास्त करने का प्रावधान करते हैं और केंद्रीय सतर्कता आयोग और मानवाधिकार आयोग जैसे वैधानिक निकायों से संबंधित कानून का भी जिक्र किया है, जो इसतरह के अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए किसी भी व्यक्ति को शीर्ष पदों पर नियुक्ति के लिए स्पष्ट रूप से अयोग्य घोषित करते हैं।
हंसारिया की रिपोर्ट में तर्क दिया गया है, अगर वैधानिक पद पर किसी भी दोषी अधिकारी या प्राधिकारी की नियुक्ति नहीं हो सकती है, तब तो यह स्पष्ट रूप से मनमाना है कि इसतरह का दोषी व्यक्ति सजा की एक निश्चित अवधि की समाप्ति के बाद फिर से देश या राज्यों के सर्वोच्च विधायी निकाय संसद या विधानसभा/विधानपरिषद में आकर बैठ सकता है। कानून निर्माताओं को इसतरह के कानून के तहत पद संभालने वाले व्यक्तियों की तुलना में ज्यादा पवित्र और अनुल्लंघनीय होना चाहिए।
बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा 2016 में दायर याचिका से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील हंसारिया को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था। उपाध्याय ने अपनी याचिका में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी, जो एक दोषी सांसद या विधायक को सिर्फ छह साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराती है।