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अजित पवार के उपमुख्यमंत्री बनते ही लवासा मामला फिर चर्चा में

लवासा मामले में अगली सुनवाई 21 जुलाई को
– पवार परिवार की बढ़ेगी मुश्किलें
मुंबई । अजित पवार के उपमुख्यमंत्री बनते ही पुणे का लवासा मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है. कोर्ट ने लवासा मामले की तत्काल सुनवाई के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है. लवासा मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट में अगली सुनवाई 21 जुलाई को होगी. दरअसल याचिकाकर्ता नानासाहेब जाधव ने कोर्ट से अनुरोध किया कि उपमुख्यमंत्री होने के नाते अजित पवार लवासा मामले में दस्तावेजों में हेरफेर कर सकते हैं, इसलिए मामले की जल्द से जल्द सुनवाई की जानी चाहिए. चूंकि अजित पवार महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री बने हैं, इसलिए वह लवासा मामले में दस्तावेजों में हेरफेर कर सकते हैं, फाइलों में आग लगा सकते हैं, जांच प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए याचिकाकर्ता ने अदालत से तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया। अदालत ने अनुरोध पर सहमति व्यक्त की और अगली सुनवाई 21 जुलाई को तय की। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि इससे अजित पवार, शरद पवार और सुप्रिया सुले की मुश्किलें बढ़ सकती है.

पवार परिवार की बढ़ेगी मुश्किलें
लवासा मामले में सीबीआई जांच की मांग की गई और आपराधिक मामला दर्ज किया गया. चूंकि महाराष्ट्र पुलिस दबाव के कारण कार्रवाई नहीं कर सकी, इसलिए याचिकाकर्ता ने सीबीआई से जांच की मांग की. एक साल से इस मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई है. अब देखने वाली बात ये होगी कि एक साल बाद होने वाली सुनवाई में याचिकाकर्ता की मांगें मानी जाती हैं या नहीं. लेकिन अब पवार परिवार की मुश्किलें बढ़ गई हैं.

याचिका दायर करने की वजह
प्रशासन ने लवासा के मामले में सीएजी और लोकायुक्त द्वारा दी गई रिपोर्ट को भी नजरअंदाज कर दिया है और लोकायुक्त द्वारा दायर रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया है कि इस परियोजना से सरकारी खजाने को 5 से 10 हजार करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान हुआ है. साल 2018 में पुणे पुलिस कमिश्नर को की गई शिकायत को कमिश्नर ने पौड पुलिस स्टेशन भेज दिया था. लेकिन पौड पुलिस ने दोबारा यह शिकायत पुलिस कमिश्नर के पास भेज दी।

साल 2019 में पुलिस कमिश्नर ने इस शिकायत को पुणे ग्रामीण पुलिस के डिप्टी कमिश्नर के पास भेज दिया था. हालाँकि, सूचना के अधिकार के माध्यम से यह पता चला कि इस शिकायत पर पौड पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है, मई 2022 में पुणे ग्रामीण पुलिस अधीक्षक को शिकायत की गई थी। याचिकाकर्ता नानासाहेब जाधव ने बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर याचिका में उल्लेख किया है कि कोई कार्रवाई नहीं होने पर आख़िरकार उन्होंने यह जनहित याचिका दायर की।

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