Jammu and Kashmir elections : जम्मू-कश्मीर में किसी भी समय करा सकते हैं चुनाव, केंद्र सरकार पूरी तरह से तैयार

सुप्रीम कोर्ट को केन्द्र सरकार ने तीन चुनाव कराने की दी जानकारी, सामान्य बताए हालात,
केंद्रशासित बना रहेगा जम्मू कश्मीर
News Dehli Jammu and Kashmir will remain a union territory : केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जम्मू कश्मीर में सामान्य हालातों की जानकारी देते हुए वहां तीन चुनाव करवाने की बात कही है। सरकार ने कहा है कि वह कभी भी चुनाव करवा सकती है। बता दें कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं एससी के मामले में केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह जम्मू-कश्मीर में किसी भी समय चुनाव के लिए तैयार हैं। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि तीन चुनाव होने हैं। पहली बार त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था लागू की गई है। सबसे पहले चुनाव पंचायतों के होंगे। लेह हिल डेवलपमेंट काउंसिल के चुनाव खत्म हो गए हैं और कारगिल के लिए सितंबर में चुनाव होंगे। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 2018 से 2023 की तुलना में आतंकवादी घटनाओं में 45.2 प्रतिशत की कमी आई है और घुसपैठ में 90 प्रतिशत की कमी आई है। पथराव आदि जैसे कानून और व्यवस्था के मुद्दों में 97 प्रतिशत तथा सुरक्षाकर्मियों की हताहती में 65 प्रतिशत की कमी आई है। 2018 में पथराव की घटनाएं 1,767 थीं, जो अब शून्य हैं। 2018 में संगठित बंद 52 थे और अब यह शून्य है।
इसी बीच अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सरकार ने 5,000 लोगों को घर में नजरबंद कर दिया है, धारा 144 लगा दी गई है, इंटरनेट बंद कर दिया गया है और लोग अस्पतालों में भी नहीं जा सकते हैं। संविधान पीठ द्वारा अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल को राज्य का दर्जा बहाल करने की समय सीमा के बारे में केंद्र से निर्देश मांगने के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा जम्मू-कश्मीर के लिए कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है। राज्य को 2019 में दो केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बदल दिया गया था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, निर्देश हैं – केंद्रशासित प्रदेश कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है। लेकिन, मैं परसों (जम्मू-कश्मीर के संबंध में) एक सकारात्मक बयान दूंगा। उन्होंने कहा कि लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश बना रहेगा।
सॉलिसिटर जनरल ने स्पष्ट किया कि वह अदालत के समक्ष बयान देने के लिए और निर्देश मांगने के लिए अटॉर्नी जनरल (एजी) के साथ सरकार में उच्च-स्तरीय पदाधिकारियों से मिलेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में इसी तरह का बयान दिया था। मेहता ने गृह मंत्री के भाषण का जिक्र करते हुए कहा, यह कोई स्थायी स्थिति नहीं है, स्थिति सामान्य होने के बाद हम चाहते हैं कि यह फिर से राज्य बने। मेहता ने संविधान पीठ को अवगत कराया कि जम्मू-कश्मीर के इतिहास में पहली बार 2020 में स्थानीय निकायों के चुनाव हुए जिसमें लगभग 34,000 प्रतिनिधि चुने गए। उन्होंने कहा कि धारा 370 हटने के बाद घाटी में कोई हड़ताल, पथराव या कर्फ्यू नहीं है। इससे पहले सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने टिप्पणी की थी कि पूर्ववर्ती राज्य स्थायी रूप से केंद्र शासित प्रदेश नहीं हो सकता। पीठ ने कहा कि लोकतंत्र की बहाली बहुत महत्वपूर्ण है।