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डबरा में आदिवासियों के साथ मारपीट, आमजन ने किया चक्काजाम

डबरा । देहात थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गुलियाई में आदिवासियों की बस्ती पर गांव के ही कुछ सरदारों ने आकार उनके और उनकी महिलाओं के साथ मारपीट कर दी जिसकी शिकायत लेकर सभी आदिवासी समुदाय के लोग डबरा एसडीएम कार्यालय पहुंचे लेकिन वहां भी उनकी कोई मदद नहीं की गई तो सभी पीड़ित लोग डबरा एसडीओपी कार्यालय पहुंचे और वहां भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई ऐसे में प्रदेश सरकार और उसके वादे कितने सच हैं यह तो साफ तौर पर नजर आ रहा है क्योंकि एक और जहां आदिवासियों के लिए सरकार सुरक्षा का दावा करती है वहीं दूसरी ओर आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ पुलिस प्रशासन कोई एक्शन नहीं लेता।

सूत्रों के अनुसार फरियादी आदिवासियों के द्वारा ग्राम की सड़क पर ही चक्का जाम कर दिया गया जिसके बाद मौके पर पुलिस प्रशासन पहुंचा जहां गांव वालों से पुलिस प्रशासन की झड़प हो गई। रामरति आदिवासी ने बताया कि उनके और उनके बेटों के साथ गांव के ही सरदारों ने गाली गलौज की और उनके घर में घुसकर उनके साथ मारपीट की जिसकी शिकायत लेकर दफाई के लगभग सभी लोग थाने में भी आए लेकिन थाने में उनकी कोई शिकायत नहीं सुनी गई।

राजू आदिवासी ने बताया कि वह गांव के ही सरदार जसवंत के यहां उसकी गाड़ी पर बतौर क्लींजर काम करते हैं काफी दिनों से पैसे ना मिलने के कारण जब राजू ने यशवंत से काम के पैसे मांगे तो उसने अपने अन्य साथियों के साथ राजू के घर पर आकर राजू और उसके भाई और मां के साथ मारपीट की जब मामले की शिकायत लेकर सभी लोग डबरा देहात थाना पहुंचे तो वहां भी उन्हें धमकियां दी गई और डबरा देहात थाना पुलिस ने प्रशासन द्वारा उनके साथ अभद्रता का व्यवहार किया गया क्योंकि वह गरीब लोग हैं और आरोपी दबंग और पहुंच वाले हैं जिनकी पुलिस भी सुनती है।

वीर सिंह जाटव निवासी ग्राम गुलियाई ने बताया कि कुछ सरदारों ने दफाई के आदिवासियों के साथ मारपीट की और तो और उन्हें उनके घर पर आकर भी मारा जिसमें उनकी महिलाएं भी थी वीर सिंह ने बताया कि अपनी मजदूरी के पैसे लेने के लिए जब राजू सरदारों के यहां गया तो वहां उसके साथ मारपीट की और जब वह घर पर आया तो उसके साथ घर पर भी मारपीट हुई जिसकी शिकायत लेकर दफाई के सभी आदिवासी समुदाय के लोग देहात थाना पहुंचे जहां ड्यूटी पर मौजूद दरोगा ने फरियादी का मोबाइल भी जप्त कर लिया और उनको थाने में ही बैठा लिया जबकि फरियादी आदिवासी अपना न्याय मांगने पुलिस के पास पहुंचे थे।

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