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सरकार ने ड्रोन एक्सपोर्ट के नियम में बदलाव किए

बिना लाइसेंस के 25 किलोमीटर तक की रेंज वाले ड्रोन हो सकेंगे एक्सपोर्ट

नई दिल्ली । सरकार ने देश में ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए नागरिकों के इस्तेमाल वाले ड्रोन के एक्सपोर्ट नियमों में बदलाव किए हैं। नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट करते हुए कहा कि भारत में ड्रोन मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देते हुए सिविलियन यूज वाले ड्रोन के एक्सपोर्ट रिस्ट्रिक्शन में ढील दी जा रही है।

इसका मतलब है कि अब यह स्पेशल केमिकल ऑर्गेनिज्म्स मटेरियल एंड टेक्नोलॉजी की लिस्ट में शामिल नहीं रहेंगे। साल 2030 तक भारत को ड्रोन मैन्यूफैक्चरिंग का हब बनाने के पीएम मोदी के मिशन की दिशा में यह बड़ा कदम है। डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड ने बताया कि सिविलियन यूज के कुछ खास स्पेसिफिकेशन वाले ड्रोन और मानवरहित हवाई वाहनों के एक्सपोर्ट को ड्रोन एक्सपोर्ट के जनरल अथॉरिटी के तहत मंजूरी दी गई है।

इसमें 25 किलोमीटर या उससे कम दूरी तक जाने वाले और 25 किलो से कम वजन वाले को ले जाने की कैपेसिटी वाले ड्रोन को छूट मिलेगी। एक्सपोर्ट के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं इस छूट के बाद अब इस कैटेगरी के ड्रोन्स को एक्सपोर्ट करने के लिए एससीओएमईटी लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी।

अपेक्स इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट स्मित शाह ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया। उन्होंने कहा,ड्रोन मैन्युफैक्चरर को हर बार एक्सपोर्ट ऑर्डर मिलने पर परमीशन और लाइसेंस का जरूरत होती थी। नियमों में ढील से सिविलियन ड्रोन का एक्सपोर्ट काफी आसान हो जाएगा। 10,000 ड्रोन एक्सपोर्ट करने का लक्ष्य पूरा होगा ।

गरुड़ एयरोस्पेस के फाउंडर और सीईओ अग्निश्वर जयप्रकाश ने कहा, इससे हमें न केवल अपने ऑर्डर भेजने में मदद मिलेगी, बल्कि दुनिया भर के 100 देशों में 10,000 ड्रोन एक्सपोर्ट करने का हमारा लक्ष्य भी पूरा होगा। दरअसल, गरुड़ ने 22 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई है, जो ड्रोन स्टार्टअप के लिए अब तक की सबसे ज्यादा राशि है। इसके साथ ही उन्हें मलेशिया, यूएई और पनामा सहित कई देशों से थोक ऑर्डर मिले हैं।

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