गीत चतुर्वेदी के पहले उपन्यास “सिमसिम” ने ‘जेसीबी प्राइज़ फॉर लिटरेचर 2023 लॉन्गलिस्ट’ में जगह बनाई
विजेता लेखक और अनुवादक को क्रमशः 25 लाख रुपये और 10 लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा
लॉन्गलिस्ट में तीन नवोदित उपन्यासकार और बंगाली, हिंदी और तमिल के चार अनुवाद शामिल हुए हैं
भोपाल । भारत में सबसे प्रतिष्ठित फिक्शन पुरस्कारों में से एक, जेसीबी प्राइस फॉर लिटरेचर ने अपने छठे संस्करण की लॉन्गलिस्ट की घोषणा की है। लेखक और अनुवादक, श्रीनाथ पेरूर की अध्यक्षता में विभिन्न विधाओं से सम्बंधित एक प्रतिष्ठित निर्णायक मंडल द्वारा चयनित सूची को प्रकाशित किया गया है, जो निश्चित ही दुनिया भर के साहित्यिक प्रेमियों में उत्साह का संचार करेगी।
निर्णायक मंडल ने देश भर से प्राप्त हुए प्रविष्टियों को बड़े ध्यान से पढ़ा जिसमें 24 शहरों के लेखकों द्वारा अंग्रेजी समेत अलग-अलग आठ भाषाओं में लिखी साहित्यिक रचनाएँ शामिल थीं। इनमें 6 पुस्तकें मूल रूप से अंग्रेजी भाषा में लिखीं गयी थीं और चार पुस्तकें मूल रूप से बंगाली, हिंदी और तमिल भाषा में लिखी गयी 4 पुस्तकों का अंग्रेजी अनुवाद थीं। इन सभी ने लॉन्गलिस्ट में स्थान प्राप्त किया है। प्रतिष्ठित लेखक, मनोरंजन ब्यापारी और पेरुमल मुरुगन, जिनकी कृतियों को पहले भी पुरस्कार के लिए दो बार सूचीबद्ध किया जा चुका गया है, तीसरी बार सूची में शामिल हुए हैं, और लेखक तनुज सोलंकी दूसरी बार सूची में शामिल हुए हैं। श्री हंसदा सोवेंद्र शेखर, जो लम्बे समय से एक लेखक के रूप में पुरस्कार के लिए सूचीबद्ध होते रहे हैं, ने इस बार श्री मनोज रूपड़ा की हिंदी पुस्तक के अनुवादक के रूप में सूची में स्थान प्राप्त किया है, यह श्री हंसदा द्वारा किसी पुस्तक का पहला अनुवाद है।
गीत चतुर्वेदी द्वारा लिखित प्रथम उपन्यास, जो श्रीमती अनीता गोपालन द्वारा किसी उपन्यास के अनुवाद का प्रथम प्रयास है, इस वर्ष की लॉन्गलिस्ट में शामिल किया गया है। श्रीमती तेजस्विनी आप्टे-रहम तथा श्री बिक्रम शर्मा द्वारा रचित उपन्यासों को भी इस लॉन्गलिस्ट में शामिल किया गया है।
पुरस्कार के 2023 के इस संस्करण के प्रतिष्ठित निर्णायक मंडल में लेखक और अनुवादक श्रीनाथ पेरूर की अध्यक्षता में नाटककार और मंच निर्देशक महेश दत्तानी ; लेखक, आलोचक और शिक्षण डिजाइनर सोमक घोषाल ; लेखक और सर्जन कावेरी नांबिसन; और कन्वर्सेशन पत्रकार और फिल्म निर्माता स्वाति त्यागराजन शामिल हैं।
गीत चतुर्वेदी का हिंदी उपन्यास, सिमसिम कुछ अन्य उपन्यासों की तरह विभाजन पर आधारित एक कहानी है, जो अपने वतन को खोने के सिंधी समुदाय के अनुभवों, जिन पर अधिक नहीं लिखा गया है, को चित्रित करता है। यह साधारण शोकगीत और पुरानी यादों से परे है, अतीत को वर्तमान से जोड़ता है, यादों को बिसरे पलों से जोड़ता है। नायक, बसंत मल, एक बूढ़ा व्यक्ति है, जो सिंध की अपनी लुप्त होती यादों के बीच मुंबई में स्थानीय भू माफियाओं से घिरी एक जीर्ण-शीर्ण पुस्तकालय के रखरखाव से जुड़ा हुआ है। उनकी संवेदनशीलता 21वीं सदी के भारत में पले-बढ़े एक युवा लड़के में प्रतिबिंबित होती है, जो उन सभी सामाजिक और राजनीतिक भयावहताओं को देखता है, जिनमें अनिता गोपालन का अनुवाद इस अद्वितीय उपन्यास को पढ़ने का एक शानदार अनुभव प्रदान करता है।