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G 20 – विश्व को भारत का मुरीद बना दिया मोदी जी ने

राघवेंद्र शर्मा, प्रदेश कार्यालय मंत्री, भाजपा
बेहद गरिमामय और अपनत्व भरे माहौल में G20 का भारतीय सफर पूर्णता को प्राप्त हो गया। जैसे-जैसे मेहमानों ने देश में आना शुरू किया वे भारतीय स्वागत और सत्कार के कायल होते गए और जब अपने अपने देश वापस लौटे तो उनके हृदय में एक उत्कृष्ट भारत की छवि चिरकाल के लिए अंकित हो गई। यह बात इसलिए कहना सहज प्रतीत होता है, क्योंकि इस पूरे कालखंड में भारत ने सभी देशों को अपनेपन का जो एहसास कराया वह आज से पहले जी-20 की किसी भी मेजबानी में देखने को नहीं मिला। सबसे अच्छी बात यह रही कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री और विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता श्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 को राजधानी दिल्ली तक सीमित नहीं रहने दिया। उन्होंने इस दायित्व को प्राप्त करने के साथ ही G20 के अधिकांश आयोजनों, बैठकों को भारत के विभिन्न राज्यों, महानगरों में बांट दिया। इससे यह फायदा हुआ कि विदेशी मेहमानों को हमारी विविधता को बेहद नजदीक से देने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने देखा कि हमारी संस्कृति कितनी बहुरंगी है और हमारे देश का हर कोना एक अलग पहचान के बावजूद एकता की मजबूत डोर में बंधा हुआ है। हर राज्य का अपना कोई ना कोई एक विशिष्ट उत्पादन है। वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कैसे बाजार प्राप्त कर सकता है? इसकी ब्यूह रचना को साकार किया जाना इन बैठकों के दौरान काफी सहज हो गया। श्री मोदी देश के छोटे-छोटे उत्पादों को भी वैश्विक स्तर पर बड़े-बड़े बाजार उपलब्ध कराने में सफल रहे। ऐसे में वैश्विक स्तर पर यह संदेश भी गया कि अनेकता में एकता ही भारत की विशिष्टता है, यह केवल एक नारा ना होकर यहां की वास्तविकता भी है। विभिन्न बैठकों के माध्यम से हम छोटे-छोटे क्षेत्रीय उत्पादों को देश में आए मेहमानों को दिखा पाए, उनकी विशेषताएं समझा पाए और अश्वस्त कर पाए कि हम लघु और सूक्ष्म उद्योगों के माध्यम से भी वैश्विक स्तर के उत्पाद उपलब्ध कराने में सक्षम एवं आत्मनिर्भर है। भारत और बड़े लक्ष्य प्राप्त करने में तब सफल रहा जब G20 की निर्णायक बैठक दिल्ली में आयोजित की गई। वहां दिल्ली घोषणा पत्र सभी वैश्विक सदस्यों की सहमति प्राप्त करने में कामयाब रहा। अफ्रीकी राष्ट्रों के संघ को भारतीय प्रधानमंत्री श्री मोदी के प्रस्ताव पर सर्वसम्मति से G20 में शामिल किया जाना हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि रही। इससे चीन की महत्वाकांक्षी मंशाओं पर अंकुश लगा। वहीं भारत के मित्र देशों की सूची में अफ्रीकी देशों की नई श्रृंखला जुड़ गई। इस पूरे आयोजन का एक खास पहलू यह भी रहा कि हम भारतीय बाजारों पर लगातार हावी हो रहे पिज़्ज़ा बर्गर नूडल्स आदि के विकल्प के तौर पर दुनिया को भारतीय मिलेट्स उपलब्ध करा पाए। उनसे बने व्यंजनों को मेहमानों के सामने आकर्षक ढंग से परोसकर हम यह सिद्ध कर पाए कि पौष्टिकता और स्वादिष्टता का सुंदर मेल भारतीय व्यंजनों में समाया हुआ है। वैश्विक स्तर पर इनका आवश्यकता अनुसार निर्यात किया जा सकता है। हमारा उत्कर्ष और वैशिष्ट्य तात्कालिक ना होकर सनातन है। यह बात अधिकांश विदेशी मेहमानों को तब समझ में आई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपति मुर्मू के साथ उनके फोटो वहां शूट हुए, जहां पार्श्व में नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष परलक्षित होते देखने को मिले। खुद श्री मोदी ने मेहमानों को यह समझाया कि यह भारतीय इतिहास का वह कालखंड है, जब हम पूरे विश्व को शास्त्र शस्त्र और विज्ञान की शिक्षा दे रहे थे। मुगलों और अंग्रेजों के शासनकाल में इस पर भले ही विराम लगा हो, लेकिन वह क्षमता और सशक्तता भारत में आज भी बरकरार है। वर्तमान भारत पूरे विश्व को वसुधैव कुटुंबकम की भावना के साथ एक बात फिर विश्वास की मजबूत डोर में बांधने जा रहा है। हमारी सबसे बड़ी कामयाबी यह रही कि आतंकवाद के मुद्दे पर G20 मंच को हमारे प्रधानमंत्री बड़ी कुशलता के साथ सशक्त विरोध के लिए एकजुट करने में कामयाब रहे। अब तक अवसरवादी प्रवृत्ति से ग्रसित कई देश आतंकवाद को अपनी सुविधा अनुसार अच्छे और बुरे आतंकवाद के नाम से विभाजित करने की प्रक्रिया अपनाते रहे हैं। इससे दुनिया में आतंकवाद को अप्रत्यक्ष बढ़ावा मिला और कई देश इसकी चपेट में आकर बर्बाद होते चले गए। खासकर पाकिस्तान जैसे आतंकवाद परस्त देश स्वयं इसकी चपेट में आकर अब बर्बादी की विभीषिका से रूबरू हैं। भारत में जब इन विसंगतियों को इस मंच पर रखा तो सुखद परिणाम यह मिले कि सभी ने एक राय होकर आतंकवाद की आलोचना की और इसकी व्यापकता पर अंकुश लगाने की इच्छा शक्ति दिखाई। निसंदेह G20 की अध्यक्षता कर रहे श्री नरेंद्र मोदी की इस कामयाबी से चीन और पाकिस्तान जैसे शत्रु देशों की समझ में यह आ गया होगा कि अब उनका पाला जिस भारत से है, वह एक ऐसा नया भारत है जो अपने साथ-साथ अपने मित्र देशों की सुरक्षा करना भी जानता है। यह भी भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की कुशल रणनीति का ही कमाल है कि जब जी-20 की अध्यक्षता भारत को सौंप गई थी, तब वह केवल G20 ही था। लेकिन अब जब भारत ने इस संगठन की कमान अगले वर्ष के लिए ब्राजील को सौंपी है, तब वह केवल जी-20 न रहकर जी 21 बनकर और ताकतवर हुआ है। इसका श्रेय केवल और केवल भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को जाता है। अपनी इन्हीं सकारात्मक कार्य प्रणालियों की वजह से जब श्री मोदी कि वैश्विक लोकप्रियता में पिछले तीन-चार दिनों के दौरान आश्चर्यजनक रूप से इजाफा हुआ है, तब भारत की एक अरब 40 करोड़ जनता का मस्तक गर्व से ऊंचा होना स्वाभाविक है। इस शिखर सम्मेलन के सर्वोत्कृष्ट पक्ष की बात करें तो वसुधैव कुटुंबकम का घोष वाक्य “एक धरती एक परिवार और एक भविष्य” की परिकल्पना को सार्थक करता दिखाई दिया। इससे हमारे करोड़ों वर्ष पुराने घोष वाक्य की वैश्विक स्तर पर पुनर्स्थापना हुई है। यह भारतीय नेतृत्व की दूरदृष्टि ही है जिसके तहत हमारी ओर से यह स्पष्ट किया गया कि किसी भी देश का महत्व मात्र उसकी जीडीपी के आधार पर नहीं आंका जाना चाहिए। बल्कि इसके लिए यह अन्वेषण किया जाना आवश्यक है कि कौन सा देश मानवीयता के आधार पर समूची दुनिया को एक दृष्टि से देख पा रहा है। सही मायने में इसी दृष्टिकोण से “वन अर्थ वन फ्यूचर” के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। किंतु इसके लिए एक व्यापक अधिकारों से युक्त विश्व सरकार की अवधारणा पर भी काम करना होगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि अब समय नए भारत का है। वसुधैव कुटुंबकम का जयघोष संपूर्ण वसुधा को मानवत्व के साथ आगे बढ़ाने जा रहा है। जल्दी ही हम देखेंगे कि हमारी भारत माता विश्व माता का स्वरूप धारण कर विश्व सरकार का संचालन करने जा रही है।

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