बागी हुए केके ने बिगाड़ी चुनावी गणित
टीकमगढ़ । इस बार के चुनाव में टीकमगढ़ विधानसभा का चुनावी गणित केके श्रीवास्तव ने भाजपा छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़कर पूरी तरह बिगाड़ दिया है। अब यहां आवाम यह कहने के लिए तैयार नहीं है कि यह चुनाव किसके पक्ष में जा सकता है हालांकि बुजुर्ग और जानकारों की मानें तो उनका यह कहना है कि यह चुनाव इस बार 2008 के इतिहास को दोहरा सकता है उनकी बात में कितनी सच्चाई है यह तो 3 दिसम्बर ही तय कर पाएगा ।
गौरतलब है कि वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की कद्दावर नेत्री व प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती ने जो अपनी जनशक्ति पार्टी का गठन किया था उसी से उन्होंने टीकमगढ़ विधानसभा का चुनाव लड़ा वहीं कांग्रेस से पूर्व मंत्री यादवेन्द्र सिंह बुन्देला उनके सामने चुनावी मैदान में थे और भाजपा से पूर्व मंत्री अखंड यादव भी चुनावी स्वाद का मजा ले रहे थे। जिसके परिणाम सभी के सामने हैं। 2008 के परिणामों में पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती और यादवेन्द्र सिंह के बीच कांटे की टक्कर रही और इस टक्कर में यादवेन्द्र सिंह बुन्देला ने पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री भारती को करारी मात देते हुए विधायकी पाने में सफलता दर्ज कराई। हालांकि इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अखण्ड यादव तीसरे स्थान पर काबिज रहे, जिसका सीधा कारण यह था कि जनशक्ति पार्टी से बहुत बड़ा चेहरा इस चुनावी मैदान में था जिसनें भाजपा को तीसरे स्थान पर पहुंचाने का काम किया था।
कांग्रेस और निर्दलीय के बीच फंसी जंग : 2008 के विधानसभा जैसे हालात इस बार भी निर्मित होत हुए नजर आ रहे हैं क्योंकि भाजपा से बागी हुए पूर्व विधायक केके श्रीवास्तव ने इस सारे चुनाव को सस्पेंस में डाल दिया है। केके श्रीवास्तव के निर्दलीय चुनाव में खड़े होने से टीकमगढ़ विधानसभा में भाजपा को नुकसान पहुंचने की संभावना साफ दिख रही है। हालांकि लाडली बहना योजना का लाभ संपूर्ण प्रदेश में भाजपा के पक्ष में देखने को मिल रहा है। निर्दलीय प्रत्याशी के के श्रीवास्तव भाजपा एवं कांग्रेस का विरोध करके चुनाव मैदान में डटे हुए हैं। आसार यह लगाए जा रहे हैं कि केके यानी टीकमगढ़ जिले की भाजपा की रीढ़, केके श्रीवास्तव एक ऐसे व्यक्ति है जिन्होंने भाजपा के कार्यकर्ता से लेकर अध्यक्ष व नपाध्यक्ष तथा विधायक तक का सफर निर्विवाद किया है। साथ ही भाजपा को जिले में इस मुकाम तक पहुंचाने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान मानते हैं। अब इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए विधानसभा चुनाव का मुख्य मुकाबला यहां का मतदाता कांग्रेस प्रत्याशी यादवेन्द्र सिंह एवं निर्दलीय प्रत्याशी केके श्रीवास्तव के बीच मान रहे हैं।
पार्टी कार्यकर्ताओं की अनुपस्थिति दे रही कई सवालों को हवा : भाजपा जो कि भारत की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है। पार्टी संगठन भाजपा का गाइडलाइन के हिसाब से चलता है यहां कोई भी कार्यकर्ता अनर्गल बातें करते हुए दिखाई नहीं दे सकता है मगर टीकमगढ़ विधानसभा की बात करें तो भाजपा प्रत्याशी के साथ पार्टी के लोगों की अनुपस्थिति कई सवालां के साथ ठंड़ी हवाओं की ओर रुख कर रही है। सुनने में तो यह भी आया है कि पार्टी पदाधिकारियों ने अन्य विधानसभाओं की ओर अपना रुख कर लिया है। चुनाव की कमान एक विशेष समाज के चर्चित दो लोग 2018 के चुनाव की तरह फिर से देख रहे है। जिन्होंने कोरोना काल जैसी महामारी में राजेन्द्र जिला चिकित्सालय के माध्यम से पीड़ितों की भरपूर मदद की थी। जिससे भाजपा प्रत्याशी की सफलता पिछली बार की भांति इस बार भी जताई जा रही हैं।