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एमबीए के बाद नही मिली नौकरी, खोली कार घुलाई की दुकान

जॉब के लिए 5 साल भटकता रहा युवक
– मजबूरी के आलम में खोली कार धोने की दुकान
– नाम रखा एमबीए कार वाला…
शहडोल । जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। दरअसल, प्रदेश में सरकारी एवं निजी संस्थानों में नौकरी की कमी के चलते जिले के पढ़े-लिखे होने के बाद भी लोग बेरोजगारी का शिकार है। और मजबूरी के आलम में कुछ छोटे मोटे काम तो कुछ कार घुलाई का काम कर अपने परिवार का पालन पोषण करने मजबूर हैं। शहडोल जिले के युवक प्रदीप पांडेय 12वी के बाद एक ख्वाब देखा था कि एमबीए कर ऊंची जॉब कर अपने परिवार का सपना पूरा करेगे, इसलिए शहडोल के बाद (बीकॉम) कर इंदौर की अटल बिहारी वाजपेयी कॉलेज से 2018 में एमबीए पास किये,उसके बाद से ही शुरुआत दौरे से अब तक लगातार इन 5 सालों में प्रदीप पांडेय ने कई सरकारी एवं निजी भर्ती परीक्षा में भाग लिया, इन 5 सालों में कई जगह क्वालीफाई होने के बाद भी नौकरी के लिए इधर उधर भटकते रहे,वही जब इन्हें जॉब नहीं मिली तो परिवार का पालन पोषण करने की जिम्मेदारी के चलते उन्हें अब अपने शहर शहडोल में कार घुलाई की दुकान खोल कर अपनी परिवार का पालन पोषण करना पड़ रहा है और अपनी कार घुलाई की दुकान का नाम एमबीए कार वाला रखा है।
वही प्रदीप ने बताया कि उनके माता पिता ने मेरे लिए बहोत से ख्वाब देखे थे इसलिए एमबीए के लिए 5 से 7 लाख का खर्च मुझ पर किया था। कई बार यहां वहां से उधार ले कर मेरी पढाई के खर्च को मैनेज किया। ताकि में ठीक से अपनी पढ़ाई कर सकू और कही मेरी अच्छी जॉब लग जाये। लेकिन सरकारी जॉब लग नही रही है और निजी संस्थानों में 10-15 हज़ार मिल रहे हैं। ऐसे में मैंने कार घुलाई की दुकान खोली है।
यूँ, तो शिवराज सरकार युवाओं के लिए नये-नये योजनाओं को लागू कर रही है। ऐसे में शहडोल के एमबीए किये युवा की स्थिति सरकारी व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर रही है। वहीं राज्य सरकार ने बेरोजगारों को 8 हजार रुपये स्टाइपेंड के रूप में देने की घोषणा की। यह राशि प्राइवेट उद्योग या संस्थान में ट्रेनिंग लेने वाले बेरोजगार युवकों को दी जाएगी। पर कितने युवकों को इसका लाभ मिला कुछ कहा नही जा सकता।

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