
जबलपुर । बिजली विभाग अब क्या आम और अब क्या खास, सबके लिए सिर दर्द बनता जा रहा है एक तरफ तकनीकी स्टॉफ की कमी का रोना रोया जाता है तो दूसरी तरफ कॉल सेंटर का गुणगान किया जाता है। हकीकत यह है कि शिकायत दर्ज होने पर कॉल सेंटर के पास रटा रटाया जवाब होता है शीघ्र ही आपकी समस्या का समाधान किया जाएगा, संबधित केंद्र तक आपकी शिकायत पहुंचा दी गई है। 33 केव्ही की लाईन में फॉल्ट है शीघ्र ही सुधर जाएगा। जबकि वास्तविकता यह होती है कि उपभोक्ता के कनेक्शन का विद्युत पोल से फॉल्ट होता है। 30-30 घंटे तक सुधारकार्य नहीं होता। उपभोक्ता हलाकान हो जाता है। आम उपभोक्ता की बाते छोड़े एक अधिवक्ता के साथ विद्युत विभाग ने ऐसा ही मजाक किया।
शहर के प्रतिष्ठित अधिवक्ता ने जेईई से लेकर एमडी तक फोन लगाए। शुरुआती दौर में उन्हें आश्वासन लगा बाद में उनके फोन उठाना भी बंद कर दिया, और लगभग 28 घंटे बाद उनके कनेक्शन का सुधारकार्य हो पाया। इस दौरान उन्हें भीषण उमस भरी गर्मी में अपने वृद्ध माता पिता को रात में बहन के घर शिफ्ट करना पड़ा। अपनी मानसिक वेदना को व्यक्त करते हुए एडवोकेट राजीव लाल श्रीवास्तव ने बताया कि वे इस बारें में अब कानूनी पहलुओं पर भी विचार करेंगे, ताकि किसी और के साथ ऐसा न हो सके।
उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जनता को हर वक्त, हर सुविधाएं दिलाने की बात तो कही जा रही है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। बिजली गुल होने से लेकर खराब होने की शिकायत के लिए टोल फ्री नम्बर 1912 दिया है लेकिन उपभोक्ता कितने ही फ़ोन कर ले, उसकी शिकायत का समाधान नहीं होता। ब्यौहारबाग निवासी एडवोकेट राजीवलाल श्रीवास्तव के घर की लाइट गुल हुए 24 घंटे से ज्यादा हो गया। उन्होंने हर जगह हर अधिकारी को फोन किया, आश्वासन तो मिला लेकिन लाइट नहीं आ सकी, बाद में तमाम जतन के बाद रविवार की रात 11 बजे उनके कनेक्शन का फॉल्ट सुधारा गया।
उन्होंने बताया कि शनिवार की दोपहर ३ बजे उनके घर सहित आसपास के घरों लाइट गुल हुई, इसके बाद वे शाम 7 बजे तक इंतजार करते रहे कि लाइट आ जाएगी लेकिन लाइट नहीं आई। इसके बाद उन्होने 1912 में शिकायत कीए कोई हल नहीं हुआ, इसके बाद फिर शिकायत की। जब लाइट नहीं आई तो उन्होने एई से लेकर सीई तक वाट्सएप पर लाइट सुधरवाने का आग्रह किया लेकिन रविवार को रात 11 बजे तक उनके घर के विद्युत आपूर्ति बहाल हो चुकी थी।
ब्यौहारबाग के अधिकतर घरों का यही हाल रहा कि लोग 24 घंटे से ज्यादा होने के बाद भी अंधेरे में बैठे रहे। पीडि़त राजीवलाल श्रीवास्तव का कहना है कि उन्होने अभी भी 1912 में शिकायत की है जबाव यही मिल रहा है कि अभी आ जाएगी, कब आएगी इसका जबाव नहीं है, जबकि 1912 टोल फ्री नम्बर को सरकार द्वारा जमकर प्रचार.प्रसार किया जा रहा है कि शिकायत मिलते ही आपकी समस्या का समाधान किया जाएगा, लेकिन जमीन हकीकत कुछ और ही है। चुनावी वर्ष में इस तरह की लापरवाही और अनसुनी सरकार के प्रयासों को पलीता लगा सकती है।