Business

जानें BSNL के उतार-चढ़ाव की पूरी कहानी

BSNL का 25वां स्थापना दिवस: बुरे दौर से निकलकर नई क्रांति की ओर

वाराणसी: भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) आज, 1 अक्टूबर, को अपना 25वां स्थापना दिवस मना रहा है। दो दशकों तक संघर्ष और गुमनामी झेलने के बाद, BSNL एक बार फिर दूरसंचार क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहा है। जहां एक समय इसके अधिकतर तकनीकी सिस्टम कूड़े के भाव बिक चुके थे और इसके कई भवन अन्य विभागों को किराए पर दे दिए गए थे, वहीं आज यह कंपनी भविष्य की योजनाओं के साथ एक नई शुरुआत कर रही है।

BSNL के बुरे दिनों की कहानी

BSNL का सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 2000 के दशक के मध्य तक BSNL का वैभव चरम पर था। उस दौर में लैंडलाइन कनेक्शन पाने के लिए लोग 6-6 महीने तक इंतजार करते थे। लेकिन 2016 में Jio के बाजार में प्रवेश करने के बाद दूरसंचार क्षेत्र में एक नई प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई। सस्ती दरों और बेहतर नेटवर्क के कारण Jio ने तेजी से ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित किया, जिससे BSNL का अस्तित्व संकट में आ गया।

सरकार का रवैया भी इस दौरान BSNL के प्रति उदासीन रहा, जिससे कंपनी की स्थिति और खराब हो गई। 2019-2020 के दौरान, BSNL के कई कर्मचारियों ने VRS (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) का विकल्प चुना और कंपनी के कई विभाग बंद हो गए।

नई योजनाओं के साथ नई शुरुआत

आज BSNL अपनी रजत जयंती मना रहा है और भविष्य की योजनाओं के साथ एक नई दिशा की ओर बढ़ रहा है। BSNL के मुख्य महा प्रबंधक ए. के. मिश्रा ने इस अवसर पर कर्मचारियों और ग्राहकों को शुभकामनाएं देते हुए कहा, “हम सभी BSNL के उतार-चढ़ाव के साक्षी हैं, और अब समय है कि हम अपने अनुभवों का लाभ उठाकर कंपनी को एक नई ऊंचाई पर ले जाएं।”

उन्होंने आगे कहा, “सरकार की ओर से हमें जो सहयोग चाहिए था, वह मिल चुका है। अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने अनुभव, प्रतिभा और श्रम के बल पर BSNL को दूरसंचार के क्षेत्र में एक बार फिर से अग्रणी बनाएं।”

नवाचार और नई पहल

BSNL ने हाल ही में स्वच्छता अभियान के तहत कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया और बच्चों को पुरस्कार वितरित किए। इसके साथ ही कंपनी ने कई क्रांतिकारी योजनाएं भी शुरू की हैं, जो भविष्य में BSNL को एक नई पहचान दिलाने में मदद करेंगी।

उत्तर प्रदेश पूर्वी परिमंडल का प्रदर्शन

वाराणसी स्थित उत्तर प्रदेश पूर्वी परिमंडल का प्रदर्शन सभी क्षेत्रों में हमेशा से ही अग्रणी रहा है। लेकिन, मुख्य महा प्रबंधक मिश्रा ने जोर देकर कहा कि मात्र एक परिमंडल में आगे होना पर्याप्त नहीं है। हमें अखिल भारतीय स्तर पर भी अपने प्रदर्शन को बेहतर करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि BSNL एक बार फिर से राष्ट्रीय स्तर पर अपनी साख बना सके।

संघर्ष के बावजूद आगे बढ़ने का संकल्प

मिश्रा ने जयशंकर प्रसाद की पंक्तियों का उद्धरण देते हुए कहा: “वह पथ क्या, पथिक कुशलता क्या, जिस पथ पर बिखरे शूल न हों।
नाविक की धैर्य कुशलता क्या, जब धाराएँ प्रतिकूल न हों।”

BSNL के कर्मचारियों और अधिकारियों ने इस अवसर पर अपनी प्रतिबद्धता जताई कि वे कंपनी को एक बार फिर से समृद्धि की ओर ले जाएंगे। इस अवसर पर “काशी संचार संदेश” स्मारिका का विमोचन किया गया और छात्राओं द्वारा केक काटकर सभी को बधाइयां दी गईं।

Related Articles