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एमआईटी-डब्ल्यूपीयू के सोशल लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम 2025 में मध्यप्रदेश की सबसे युवा महिला सरपंच लक्षिका दागर ने दी प्रेरणा

उज्जैन मध्यप्रदेश,। उज्जैन जिले की चिंतामन जवासिया ग्राम पंचायत की सबसे कम उम्र की महिला सरपंच सुश्री लक्षिका दागर ने एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, पुणे के सोशल लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम (SLDP) 2025 में छात्रों को संबोधित करते हुए अपनी प्रेरणादायक यात्रा साझा की। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का विषय था #CommunitiesForChange, जिसमें देशभर से सामाजिक परिवर्तन के नेता, नीति निर्माता और नवाचारकर्ता शामिल हुए।

कार्यक्रम का उद्घाटन

इस आयोजन का शुभारंभ लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह (सेवानिवृत्त), सदस्य राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड एवं पूर्व जीओसी-इन-चीफ, साउदर्न कमांड, भारतीय सेना द्वारा किया गया। उन्होंने राष्ट्र निर्माण में आध्यात्मिकता और नेतृत्व की भूमिका पर जोर दिया। उनके साथ अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विचारक श्री फर्नांडो गारिबे विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

लक्षिका दागर का संदेश

सिर्फ 21 वर्ष की उम्र में सरपंच बनीं लक्षिका दागर ने कहा—
“नेतृत्व उम्र का नहीं, बल्कि दूरदर्शिता, साहस और सेवा का परिचायक है। जब मैंने सरपंच पद संभाला, तब लोगों को संदेह था कि इतनी युवा कोई लड़की बदलाव ला सकती है या नहीं। लेकिन हमने गांव में सड़कें बनाईं, स्कूल सुधारे, स्वच्छता बढ़ाई, महिलाओं को कौशल दिया और जैविक खेती को बढ़ावा दिया। हर घर में शौचालय और मातृत्व केंद्र स्थापित करना हमारी प्राथमिकता रही। महिलाएं किसी की प्रतिनिधि नहीं—वे स्वयं अपनी प्रतिनिधि बन सकती हैं। युवाओं को चाहिए कि वे अपनी शिक्षा का उपयोग नवाचार और सेवा के लिए करें। बदलाव की शुरुआत अपने समुदाय से करें।”

सामाजिक परिवर्तन का मंच

इस कार्यक्रम में पानी फाउंडेशन के सीईओ सत्यजीत भटकल, पद्मश्री चामी मुर्मू, पर्यावरणविद् मॉर्निंगस्टार कोंगथाव, सामाजिक कार्यकर्ता श्याम सुंदर पालीवाल और कई सरपंचों व सामाजिक उद्यमियों ने भी अपने विचार साझा किए।

एमआईटी-डब्ल्यूपीयू के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. राहुल वी. कराड ने कहा कि SLDP का उद्देश्य ऐसे सामाजिक रूप से जिम्मेदार नेता तैयार करना है जो सतत और समावेशी विकास की दिशा में ठोस योगदान देंगे।

मुख्य निष्कर्ष

इस आयोजन में छात्रों ने जलवायु परिवर्तन, ग्रामीण सशक्तिकरण, शहरी सतत विकास और सांस्कृतिक संरक्षण जैसे मुद्दों पर संवाद किया और सीखा कि नेतृत्व केवल अधिकार नहीं, बल्कि सहानुभूति, नैतिकता और रचनात्मक समाधान की प्रक्रिया है।

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