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स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) पर तकनीकी विशेषज्ञ समूह की स्थापना पर विचार किया

नई दिल्ली । स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoH&FW) ने स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) के इलाज के लिए एक विशेष तकनीकी विशेषज्ञ समूह स्थापित करने पर सक्रिय रूप से विचार करने की घोषणा की है। डॉ. एल स्वस्तिचरण, अतिरिक्त डी.डी.जी., डी.जी.एच.एस., ने इस बात की जानकारी गुरुग्राम में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन, SMArtCon2024, के दौरान दी।

डॉ. स्वस्तिचरण ने कहा कि यह तकनीकी विशेषज्ञ समूह, जिसे “टेक एमएसए” नाम दिया जाएगा, देशभर में दुर्लभ बीमारियों पर केंद्रित केंद्रों को SMA के संदर्भ में सलाह और तकनीकी सुझाव प्रदान करेगा। उनका मानना है कि SMA की चुनौती का सफलतापूर्वक सामना करना अन्य दुर्लभ बीमारियों के लिए एक मॉडल स्थापित कर सकता है।

पिछले तीन वर्षों में, भारत सरकार ने दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए बजटीय सहायता को शून्य से बढ़ाकर 82 करोड़ रुपये तक कर दिया है। डॉ. स्वस्तिचरण ने बताया कि 2022-23 में 35 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की गई, जो 2023-24 में बढ़कर 74 करोड़ रुपये हो गई। वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए 82.4 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है, जिसमें से 34.2 करोड़ रुपये पहले ही वितरित किए जा चुके हैं।

क्योर SMA फाउंडेशन ऑफ इंडिया की सह-संस्थापक और निदेशक, मौमिता घोष ने बताया कि भारत में हर साल लगभग 4,000 बच्चे SMA के साथ पैदा होते हैं, जो नवजात शिशुओं के लिए प्रमुख आनुवंशिक मृत्यु का कारण है। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि दुर्लभ बीमारियों के उपचार के लिए बजटीय समर्थन बढ़ाया जाए और SMA मरीजों को विशेष ध्यान दिया जाए।

टीआईजीएस के निदेशक, डॉ. राकेश मिश्रा ने SMA मरीजों की समस्याओं के समाधान के लिए क्योर SMA फाउंडेशन के साथ सहयोग की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि हम प्रभावी लागत डायग्नोस्टिक परीक्षण पर काम कर रहे हैं, जो SMA और इसके प्रकारों की सटीक पहचान कर सके।

सम्मेलन में विभिन्न विशेषज्ञों, चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और अन्य पेशेवरों ने SMA और अन्य दुर्लभ बीमारियों के लिए स्वदेशी अनुसंधान, नई चिकित्सा विधियों और बहु-आयामी सहायक देखभाल पर नवीनतम प्रगति साझा की।

SMArtCon2024 का आयोजन बाल न्यूरोलॉजी अकादमी, भारतीय मेडिकल जीनटिक्स अकादमी सोसाइटी, टाटा इंस्टीट्यूट फॉर जनेटिक्स एंड सोसाइटी और आर्टेमिस अस्पताल (गुरुग्राम) के सहयोग से किया गया।

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