अमेरिका की टैरिफ वृद्धि से भारत के निर्यात पर संकट, फार्मा से लेकर सी-फूड सेक्टर तक असर – फेडरेशन अध्यक्ष दीपक शर्मा का बयान

भोपाल, । फेडरेशन ऑफ मध्यप्रदेश चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FMPCCI) के अध्यक्ष दीपक शर्मा ने अमेरिका द्वारा विभिन्न देशों पर टैरिफ वृद्धि के निर्णय पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि अमेरिका का यह एग्रेसिव टैरिफ पॉलिसी वैश्विक व्यापार पर व्यापक प्रभाव डालेगा, विशेष रूप से भारत के फार्मा, टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल और ज्वेलरी सेक्टर पर।
सी-फूड निर्यात को भारी झटका, एमएसएमई पर गहरा प्रभाव
दीपक शर्मा ने बताया कि भारत से सी-फूड निर्यात की मात्रा काफी अधिक है, और अमेरिका द्वारा लगाए गए 26% तक के प्रारंभिक टैरिफ से इस क्षेत्र में भारी गिरावट आने की आशंका है।
एमएसएमई (MSME) सेक्टर, जो कि श्रमिक-केंद्रित (लेबर ओरिएंटेड) है, सबसे अधिक प्रभावित होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका की यह नीति उसकी मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के उद्देश्य से है, लेकिन इसका सीधा प्रभाव भारत की जीडीपी पर 1 प्रतिशत तक पड़ सकता है।
भारत के निर्यात पर अमेरिका का टैरिफ हमला: विकल्प तलाश रहा भारत
भारत का कुल 17% निर्यात अमेरिका को होता है, और ऐसे में टैरिफ बढ़ने से व्यापार घाटा (ट्रेड डेफिसिट) बढ़ सकता है। फेडरेशन अध्यक्ष के अनुसार, भारत अब यूरोपियन यूनियन (EU) के देशों की ओर निर्यात के नए अवसर तलाशेगा।
इसके साथ ही चीन ने भी भारत के साथ ट्रेड डेफिसिट कम करने का आश्वासन दिया है, जिससे आने वाले समय में भारत से चीन को निर्यात में वृद्धि की उम्मीद है। चीन ने इस दिशा में सकारात्मक संकेत भी दिए हैं।
WTO की प्रासंगिकता पर सवाल, वैश्विक व्यापार पर खतरा
दीपक शर्मा ने कहा कि मौजूदा परिस्थिति में विश्व व्यापार संगठन (WTO) अप्रासंगिक होता जा रहा है। उन्होंने कहा,
“अब वैश्विक संस्थाएं निष्क्रिय होती जा रही हैं और प्रत्येक शक्तिशाली देश अपनी मनमर्जी के अनुसार व्यापार और सैन्य रणनीतियों को लागू कर रहा है। यह स्थिति आगे चलकर पूरे विश्व के लिए संकटपूर्ण हो सकती है।”
टैरिफ में संभावित राहत की उम्मीद
फेडरेशन अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि अगस्त-सितंबर 2025 तक अमेरिका द्वारा बढ़ाए गए टैरिफ में कमी आ सकती है। भारत सरकार को चाहिए कि वह वैश्विक स्तर पर राजनयिक और व्यापारिक रणनीतियों को तेज़ करे, ताकि भारत के निर्यात और एमएसएमई सेक्टर की रक्षा की जा सके।