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एयरटेल ने डिजिटल धोखाधड़ी से लड़ने के लिए बैंकों, आरबीआई और एनपीसीआई से मांगा सहयोग

नई दिल्ली। देश की अग्रणी दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल ने बढ़ते डिजिटल फ्रॉड (Digital Fraud) की गंभीरता को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) और देश के 40 से अधिक प्रमुख बैंकों से संपर्क किया है। एयरटेल ने इन संस्थानों के साथ मिलकर एक संगठित और एकीकृत रणनीति तैयार करने की अपील की है ताकि डिजिटल धोखाधड़ी को समय रहते रोका जा सके।

एयरटेल का डिजिटल सुरक्षा के लिए साझा फ्रंट का प्रस्ताव

एयरटेल ने NPCI और RBI के साथ ‘करीबी सहयोग’ की आवश्यकता जताई है ताकि एक मल्टी-लेयरड डिफेंस सिस्टम विकसित किया जा सके। इसके तहत सभी संबंधित पक्षों को मिलकर ज्ञात फ्रॉड डोमेनों (Fraudulent Financial Domains) का एक केंद्रीकृत डेटाबेस बनाना होगा, जिसे नियमित रूप से अपडेट किया जाए।

प्रमुख बैंकों से भी संपर्क

एयरटेल ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI), एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक सहित कई अन्य बड़े बैंकों से भी इस मुद्दे पर साझेदारी की मांग की है। कंपनी का उद्देश्य डिजिटल फ्रॉड से जुड़ी खुफिया जानकारी साझा करना, और ग्राहकों को समय रहते चेतावनी देना है।

ओटीटी प्लेटफार्म की जवाबदेही का समर्थन

एयरटेल ने ओटीटी (OTT) प्लेटफॉर्मों को अधिक जवाबदेह बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया है। कंपनी ने RBI से परामर्श के दौरान यह सुझाव दिया कि एक ऐसा नियामकीय ढांचा तैयार किया जाए, जिसमें वित्तीय संचार के मामलों में OTT मंचों की जिम्मेदारी तय हो।

एयरटेल की मंशा: सामूहिक और सतर्क नेटवर्क बनाना

एयरटेल का मानना है कि डिजिटल धोखाधड़ी से निपटना सिर्फ एक संस्थान की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सभी प्रमुख हितधारकों के बीच सामूहिक भागीदारी से ही इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इसी सोच के तहत कंपनी ने यह बहुपक्षीय सहयोग की पहल की है।

पृष्ठभूमि: क्यों जरूरी हो गया है यह कदम?

हाल के वर्षों में यूपीआई धोखाधड़ी, फर्जी एसएमएस, कॉल स्पूफिंग और फिशिंग अटैक के मामलों में बड़ा इजाफा देखा गया है।जालसाज वित्तीय संस्थानों के नाम से फर्जी डोमेन बनाकर लोगों से संवेदनशील जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। भारत में डिजिटल ट्रांजेक्शन की बढ़ती संख्या को देखते हुए साइबर सुरक्षा अब पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गई है।

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