Birmingham went bankrupt : ब्रिटेन का दूसरा सबसे बड़ा शहर बर्मिंघम हुआ दिवालिया, सभी गैर जरूरी खर्च किए गए बंद

birmingham/ Britten: Ban on all types of expenses in Birmingham with immediate effect : ब्रिटेन का दूसरा सबसे बड़ा शहर बर्मिंघम दिवालिया हो गया है। बर्मिंघम को चलाने वाले स्थानीय अधिकारियों ने सालाना बजट में कमी के कारण काउंसिल को दिवालिया घोषित कर दिया है। मंगलवार को यहां धारा 114 नोटिस दायर किया गया। इस नोटिस के तहत जरूरी खर्चों को छोड़कर सभी तरह के खर्चों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। अधिकारियों ने अब अपना पूरा ध्यान सिर्फ जरूरी सेवाओं पर केंद्रित कर दिया है। बर्मिंघम सिटी काउंसिल को विपक्षी लेबर पार्टी चलाती है। ये यूरोप में 100 से ज्यादा काउंसलर्स वाली सबसे बड़ी लोकल अथॉरिटी है। इसने धारा 114 नोटिस जारी कर कहा कि, कमजोर लोगों और वैधानिक सेवाओं की सुरक्षा को छोड़कर, बाकी सभी सेवाएं तत्काल प्रभाव से बंद की जाती हैं। काउंसिल ने कहा कि एक बेहद गंभीर वित्तीय स्थिति पैदा हो गई है। क्योंकि उसे समान वेतन दायित्व के पैसे देने होंगे। जो अब तक 650 मिलियन पाउंड से 760 मिलियन पाउंड के बीच में हो चुकी है। लेकिन उसके पास इसकों पूरा करने के लिए संसाधन नहीं हैं।
-खर्चों के लिए फंड नहीं
काउंसिल की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक – इस आधार पर, काउंसिल के अंतरिम डायरेक्टर ऑफ फाइनेंस, फियोना ग्रीनवे ने स्थानीय सरकार अधिनियम की धारा 114(3) के तहत एक रिपोर्ट जारी की है, जो पुष्टि करती है कि काउंसिल के पास समान वेतन खर्च को पूरा करने के लिए अपर्याप्त संसाधन हैं और उसके पास वर्तमान में कोई अन्य संसाधन नहीं हैं कि वो इस दायित्व को पूरा कर सके।
-खर्चों पर नियंत्रण
काउंसिल ने कहा कि काउंसिल पहले से चले आ रहे खर्चों पर नियंत्रण को सख्त करेगी और पकड़ को मजबूत करने के लिए उन्हें धारा 151 अधिकारियों को सौंप देगी। नोटिस का मतलब है कि कमजोर लोगों और वैधानिक सेवाओं की सुरक्षा को छोड़कर सभी नए खर्च तुरंत बंद होने चाहिए। 2012 में अथॉरिटी के खिलाफ एक ऐतिहासिक मामला लाए जाने के बाद से बर्मिंघम काउंसिल ने समान वेतन दावों में लगभग 1.1 बिलियन पाउंड का भुगतान किया। यूके सुप्रीम कोर्ट ने 174 कर्मचारियों के पक्ष में फैसला सुनाया, जिनमें ज्यादातर महिलाएं थीं। जो टीचिंग असिस्टेंट, सफाईकर्मी और कैटरिंग स्टाफ था, जो बोनस लेने से चूक गए थे। आमतौर पर ये पुरुष-प्रधान भूमिकाओं जैसे कूड़ा उठाने वाले और सड़क साफ करने वाले कर्मचारियों को दिया जाता था।