हेल्थ जानकारों ने कहा, मॉस्क लगाए और हाथ धोए
नई दिल्ली । देश में कोरोना का खौफ अभी पूरी तरह से थमा भी नहीं था कि एक और जानलेवा वायरस आ गया है। सूत्रों के मुताबिक एन3एन2 वायरस से देश में दो मौत के मामले रिपोर्ट हुए है। साथ ही इस वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या 90 हो गई है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में एन 3एन2 वायरस लेकर माथापच्ची शुरु हो गई है और रोकथाम के उपायों को लेकर कोशिशें तेज कर दी गई हैं। उत्तर भारत में इस बीमारी के अधिक मामले आ रहे हैं। खासकर दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में इसके मरीज अधिक देखने को मिले हैं। इसके साथ ही देश के दक्षिणी हिस्से कर्नाटक में भी इसके मरीज मिले हैं। कर्नाटक और हरियाणा में एन3एन2 वायरस से मौतें भी हुई है। डॉक्टरों के मुताबिक जितने भी मरीज अस्पताल आ रहे है, उसमें से अधिकतर 10 से 12 दिनों तक खांसी की शिकायत लेकर आ रहे हैं। इसके बाद सवाल ये है कि क्या ये कोरोना ही है या कुछ और? एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोरोना और इन्फ्लूएंजा दोनों मे एक जैसे ही लक्षण हैं। कोरोना की तरह एच3एन 2 वायरस भी बड़ी तेजी से संक्रमित करता है। इन्फ्लूएंजा के संदिग्ध मरीजों के सैंपल की कोरोना जांच भी की जा रही है। हेल्थ जानकारों का कहना है कि एच3एन2 इनफ्लुएंजा वायरस के लक्षण दिखते ही लोगों को फौरन, आरटीपीसीआर टेस्ट कराना चाहिए, अच्छे क्वॉलिटी के मास्क का उपयोग करना चाहिए, समय-समय पर हाथों को साबुन से अच्छे से धोना चाहिए, संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से खुद को बचाना चाहिए, पैनिक होने के बजाए बचाव के उपाय करने चाहिए, जिन लोगों की इम्युनिकी कम है या गंभीर बीमार है, ऐसे लोगों का खास ख्याल रखें, संक्रमित होने पर फौरन चिकित्सकों की सलाह लें। एच3एन2 वायरस से संक्रमित मरीजों में खांसी, बुखार, ठंड लगना, सांस फूलना और घबराहट की शिकायत हो सकती है। साथ ही कुछ मरीजों में गले में खराश, शरीर में दर्द और दस्त की भी शिकायत मिली है। बड़ी परेशानी की बात ये है कि ये सभी लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं। इंडियन कांउसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने नियमित रुप से हाथ धोने और मास्क लगाने की सलाह दी है। ये सभी सलाह कोविड से मिलते जुलते हैं। इसके साथ ही खान पान में बहुत सारे तरल पदार्थ, आंख और नाक को छूने से बचने और बुखार और शरीर में दर्द के लिए पेरासिटामोल के सेवन का आग्रह किया है। कमजोर इम्यूनिटी वाले वयस्क, बुजुर्ग और छोटे बच्चों में ये ज्यादा घातक है।
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