अदानी ने लखनऊ एयरपोर्ट पर यात्रियों की बढ़ा दी शुल्क
नई दिल्ली । कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि उद्योगपति गौतम adani के डूबते हुए शेयरों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। रमेश ने शनिवार को कहा कि लखनऊ में अदानी द्वारा संचालित भारत के 11वें सबसे व्यस्त हवाई अड्डे, चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे ने यात्रियों द्वारा भुगतान किए जाने वाले उपभोक्ता विकास शुल्क (यूडीएफ) में भारी वृद्धि का प्रस्ताव दिया है। यदि हवाई अड्डा आर्थिक नियामक प्राधिकरण (एईआरए) द्वारा इस प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया जाता है, तो वित्तीय वर्ष 2025-26 तक घरेलू यात्रियों के लिए उपभोगकर्ता शुल्क 192 रुपये से बढ़कर 1,025 रुपये और अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के लिए 561 रुपये से बढ़कर 2,756 रुपये हो जाएगा। अदानी द्वारा संचालित अहमदाबाद हवाई अड्डे से उड़ान भरने वाले घरेलू यात्रियों के लिए 2025-26 तक इस शुल्क में 6 गुना वृद्धि और अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के लिए 12 गुना वृद्धि को पहले ही एईआरए द्वारा मंजूरी दे दी गई है।
- मंगलुरु हवाई अड्डे पर आने-जाने वाले यात्रियों पर लगाया शुल्क
जयराम रमेश ने दावा किया कि एईआरए ने अदानी द्वारा संचालित मंगलुरु हवाई अड्डे के मामले में न केवल प्रस्थान करने वाले यात्रियों के लिए उपभोक्ता शुल्क में वृद्धि की है, बल्कि आने वाले यात्रियों पर भी शुल्क लगाया है। क्या नीति आयोग और वित्त मंत्रालय की आपत्तियों के बावजूद उद्योगपति गौतम अडानी को छह में से छह हवाईअड्डे सौंपकर उसे हवाईअड्डों का एकाधिकार देने निर्णय का यह अपरिहार्य परिणाम हवाई यात्रा करने वाले लोगों को नहीं भुगतना पड़ रहा है। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाते हुए कहा कि साल 2008 में अदानी पावर ने हरियाणा की सरकारी बिजली वितरण कंपनियों के साथ 2.94 रुपये प्रति यूनिट की अपरिवर्तनीय दर पर 25 साल के लिए 1,424 मेगावाट बिजली की आपूर्ति करने के बिजली खरीद समझौते (पीपीए) पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद इंडोनेशियाई कोयले की कीमतें बढ़ने के बाद अदानी ने अपरिवर्तनीय टैरिफ को बढ़ाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी, जो तब समाप्त हो गई, जब सुप्रीम कोर्ट ने 11 अप्रैल 2017 को अपने निर्णय में कहा कि इंडोनेशियाई कोयले के नियमों में बदलाव को पीपीए संशोधन को उत्प्रेरित करने वाले कानून में बदलाव के रूप में नहीं देखा जा सकता है। इतना ही नहीं साल 2020 में हरियाणा को 11.55 रुपये प्रति यूनिट पर तत्काल बिजली खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा। मनोहर लाल खट्टर सरकार द्वारा अपनी आधिकारिक आपूर्ति प्राप्त करने की बजाय 27 जून 2022 को एक पूरक पीपीए को मंजूरी देने का फैसला किया गया, जिसके द्वारा अदानी से 3.54 रुपये प्रति यूनिट की दर से 1,200 मेगावाट की कम बिजली खरीद का निर्णय हुआ और शेष 224 मेगावाट बिजली अत्यधिक बढ़ी हुई कीमतों पर अडानी से खरीदने का निर्णय हुआ। उन्होंने पूछा कि क्या इसके लिए सीएम खट्टर पर दबाव डाला गया, अदानी द्वारा भाजपा के चुनावी बांड के भुगतान के लिए हरियाणा के उपभोक्ताओं से कितने हजारों करोड़ रुपये की लूट की जाएगी।
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