नई दिल्ली । रघुराम राजन ने कहा, अनुक्रमिक मंदी चिंता का विषय है। निजी क्षेत्र निवेश करने को तैयार नहीं है, आरबीआई अभी भी दरों में वृद्धि कर रहा है और वैश्विक विकास इस वर्ष में धीमा होने की संभावना है।
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ को लेकर चेतावनी जारी की है। उन्होंने कहा है, निजी क्षेत्र के कमजोर निवेश, उच्च ब्याज दर और धीमे वैश्विक विकास दर के कारण भारत हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ से खतरनाक रूप से बेहद करीब है।
उन्होंने कहा, पिछले महीने राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी राष्ट्रीय आय के ताजा अनुमान से पता चलता है कि तिमाही वृद्धि में सिलसिलेवार मंदी आर्थिक विकास के लिए काफी चिंताजनक है। आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) दूसरी तिमाही में 6.3 प्रतिशत और पहली तिमाही में 13.2 प्रतिशत से घटकर 4.4 प्रतिशत पहुंच गई है। जबकि, पिछले वित्तीय वर्ष वर्ष की तीसरी तिमाही में विकास दर 5.2 फीसदी थी।
अनुक्रमिक मंदी चिंता का विषय
रघुराम राजन ने कहा, अनुक्रमिक मंदी चिंता का विषय है। निजी क्षेत्र निवेश करने को तैयार नहीं है, आरबीआई अभी भी दरों में वृद्धि कर रहा है और वैश्विक विकास इस वर्ष में धीमा होने की संभावना है। उन्होंने कहा, यह पता नहीं है कि इन सबमें हम अतिरिक्त विकासदर कहां पाएंगे। उन्होंने कहा, सबसे बड़ा सवाल यह है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारतीय विकास दर क्या होगी। उन्होंने कहा, अगर हम पांच प्रतिशत वृद्धि हासिल करते हैं, तो हम भाग्यशाली होंगे।
क्या है 'हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ'?
1947 में देश जब आजाद हुआ तो देश आर्थिक रूप से काफी पिछड़ा था। देश में व्यापक स्तर पर गरीबी थी और संसाधनों का अभाव था। ऐसे में 1951 से 1980, लगभग तीन दशकों तक देश की विकास दर काफी धीमी रही। देश में औसतन विकासदर करीब चार प्रतिशत के करीब थी। ऐसे में उस समय के जाने-माने अर्थशास्त्री राज कृष्ण ने 1978 में धीमी विकास दर को 'हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ' नाम दिया।
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