सड़क किनारे अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने की जारी है कार्रवाई, सरकार ने हाई कोर्ट में पेश की रिपोर्ट

जबलपुर । कोर्ट में सरकार ने बताया कि पूर्व में कोविड के कारण कार्रवाई रोक दी गई थी जिसे फिर शुरू किया जाएगा। कैंटोनमेंट बोर्ड की ओर से न्यायालय को बताया गया कि कैंट में बचे हुए धर्म स्थल हटाने के लिए कलेक्टर को बार-बार लिखा गया था। लेकिन समय पर मजिस्ट्रेट और पुलिस बल नहीं दिया गया है।
मध्य प्रदेश में रोड किनारे और सार्वजनिक स्थलों पर अवैध रूप से बने धार्मिक स्थलों को हटाने की कार्रवाई जारी है। कार्रवाई के संबंध में सरकार की तरफ से हाई कोर्ट में रिपोर्ट पेश की गई। चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लेते हुए अगली सुनवाई तीन अप्रैल को निर्धारित की है।
उल्लेखनीय है कि सतना बिल्डिंग निवासी सतीश वर्मा की ओर से साल 2014 में उक्त अवमानना दायर की थी गई। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर हाई कोर्ट ने भी साल 2018 में स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देश दिए थे। इसके अलावा एक अन्य जनहित याचिका भी दायर की गई थी।
याचिकाओं पर पूर्व में संयुक्त रूप से हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया था कि सार्वजनिक स्थलों और सड़क किनारे बने अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने के आदेश का पूर्णतः पालन नहीं किया गया है। रोड चौड़ीकरण, नाली निर्माण या फुटपाथ पर 64 अवैध धार्मिक स्थल बाधक बने हुए हैं। जिला कलेक्टर राजनीतिक दवाब के कारण अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने से पीछे हट रहे हैं। कैंटोनमेंट और रेलवे और आर्मी एरिया के भी अवैध धार्मिक स्थल कलेक्टर जबलपुर की उदासीनता के कारण नहीं हटाए जा सके हैं। हटाए गए 11 अवैध धार्मिक स्थलों का पुनः निर्माण किया जा रहा है।

सरकार की तरफ से पेश रिपोर्ट में बताया गया कि पूर्व में कोविड के कारण कार्रवाई रोक दी गई थी जिसे फिर शुरू किया जाएगा। कैंटोनमेंट बोर्ड की ओर से न्यायालय को बताया गया कि कैंट में बचे हुए धर्म स्थल हटाने के लिए कलेक्टर को बार-बार लिखा गया था। लेकिन समय पर मजिस्ट्रेट और पुलिस बल नहीं दिया गया है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष स्वंय रखा।

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