बेटी के प्रेम विवाह की सजा, विधवा मां को सुनाया तुगलकी फरमान

बैतूल । बेटी के प्रेम विवाह से नाराज समाज ने एक विधवा मां को तुगलकी फरमान सुनाया है। बेटी दामाद को गांव से बाहर करने पर ही महिला को समाज में रहने का हुक्म दिया। यह शर्मशार करने वाली घटना मध्यप्रदेश के बैतूल कोतवाली क्षेत्र के मलसिवनी गांव की है।
बैतूल जिले में इकलौती बेटी के प्रेम विवाह की सजा एक विधवा महिला को भुगतनी पड़ी। मामला बैतूल कोतवाली थाना इलाके के मलसिवनी का है। यहां एक महिला की महज इसलिए पिटाई कर दी गई, क्योंकि उसकी बेटी ने अंतरजातीय विवाह कर लिया था। इससे समाज के लोगों ने महिला को इतना पीटा कि उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। महिला को फरमान सुनाया गया है कि वह अपनी बेटी को घर और गांव से बाहर करे, तभी उसे समाज में प्रवेश दिया जाएगा। महिला का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया है।
घटना सोमवार शाम की है, समाज के भगत लक्ष्मी नारायण, गांव कोटवार कन्हैया और अन्य लोगों ने महिला की पिटाई कर उसे घायल कर दिया। महिला गांव के भगत से सामाजिक रीति के अनुरूप पूजन करवाने की गुजारिश लेकर गई थी, लेकिन उसके साथ मारपीट कर दी गई। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि उसकी इकलौती बेटी ने आदिवासी समाज के युवक से डेढ़ साल पहले कोर्ट मैरिज कर ली थी।
बेटी और दामाद उसे देखने पहुंचे'
महिला ने बताया कि उसकी तबीयत खराब होने पर बेटी और दामाद उसे देखने पहुंचे थे। इस पर वह गांव के भगत से रोटी भाजी पूछने गई थी। उसे भगत ने धक्का मारकर गिरा दिया और उससे मारपीट कर दी। महिला को गहरी चोट पहुंची है। उसे कहा गया है कि अगर आदिवासी दामाद और बेटी को घर में रखने की यही सजा है। महिला का कहना है, उसे पिछले तीन-चार महीने से प्रताड़ित किया जा रहा है।

ग्रामीणों के मुताबिक, यह एक तरह की जात मिलौनी की परंपरा है। अंतर्जातीय विवाह के मामले में पीड़ित पक्ष भाजी रोटी की रस्म निभाता है। इस रस्म के बिना वह दैवीय अनुष्ठानों में हिस्सा नहीं ले सकता। आगामी दिनों में महाशिवरात्रि पर्व पर महिला महादेव दर्शन के लिए जाने से पहले यह रस्म अदा करना चाहती थी, लेकिन उससे मारपीट की गई और समाज से बहिष्कार का फरमान सुना दिया गया।
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'मैंने इंटरकास्ट शादी की'
महिला की बेटी का कहना है कि मैंने इंटरकास्ट शादी की है। हम पहले मम्मी के साथ रहते थे, लेकिन बाद में बाहर चले गए। मम्मी की तबीयत खराब हुई तो फिर उनके पास आ गए। हमारी लव मैरिज से समाज के लोगों को दिक्कत है। दो-तीन माह से टॉर्चर कर रहे हैं। उन्होंने मम्मी के साथ भी मारपीट की है। इसमें भगत लक्ष्मीनारायण, कन्हैया कोटवार और समाज के अन्य लोग शामिल हैं। मैं मम्मी के साथ रहना चाहती हूं, उनकी कोई दूसरी संतान नहीं है, ऐसे में उनको अकेला कैसे छोड़ दूं।

महिला के देवर का कहना है कि बेटी ने आदिवासी युवक से कोर्ट मैरिज की है। अब कतिया समाज के लोग उनको जाति में रखना नहीं चाह रहे हैं। जबकि मेरी भाभी विधवा है। उसकी एक ही संतान है। उसको पालने के लिए उसको बेटी की जरूरत है पर समाज वाले इस को एक्सेप्ट नहीं कर रहे हैं। समाज वालों का कहना है कि इनको अलग करो तो या इनको गांव से बाहर रखो तब हम आपको समाज में रखेंगे।
भगत आगबबूला हो गया'
जिला अस्पताल में इलाजरत पीड़ित महिला ने बताया कि शिवरात्रि आ रही है। इसलिए मैं भगत के पास रोटी भाजी करने ओर महादेव के पास जाने की मंशा से पूछने गई थी तो भगत आगबबूला ही गया और कहने लगा पहले लड़की-लड़का को घर से निकाल, उसके बाद तुझे भाजी रोटी करेंगे। आदिवासी के हाथ का पानी पीएंगे तो जात से बाहर रहने पड़ेगा। इसी बात पर भगत, कन्हैया, नीलेश और गुड्डी ने मारपीट की मुझे रोड पर पटक दिया, जिससे मेरे सिर में गहरी चोट आई है।

लगभग डेढ़ साल पहले महिला के बेटी ने पड़ोस के गांव के आदिवासी लड़के से शादी कर ली थी। दोनों बैतूल से बाहर चले गए थे। लेकिन मां की बिगड़ी तबियत पर बेटी वापस आ गई। बेटी का कहना है कि इनको हम समाज मे एक्सेप्ट नहीं करेंगे, मेरी मम्मी को कह रहे हैं कि तुमको समाज में रहना है तो इनको गांव से बाहर कर और इनका नाम ज़मीन से कटवा, यहां पर इनका कोई अधिकार नहीं है। लेकिन मैं अपनी मां के साथ रहना चाहती हूं।

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