सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करें केंद्र सरकार, कर्मचारी मंच ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

भोपाल। देश की सर्वोच्च न्यायालय अपने आदेश में स्पष्ट कर चुकी है कि कर्मचारी का पेंशन प्राप्त करना उसका संवैधानिक अधिकार है यह अधिकार उससे कोई सरकार नहीं छीन सकती सेवानिवृत्त के समय के वेतन का 50% राशि पेंशन के रूप में कर्मचारी को दिया जाना अनिवार्य है फिर भी केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना बंद करके बाजार वादी न्यू पेंशन योजना देश के कर्मचारियों के ऊपर थोप दी है जो कर्मचारियों के जमा पैसे की राशि से 5% की राशि पेंशन के रूप में एनपीएस योजना के तहत दे रही है जिसका विरोध मध्यप्रदेश के 7:50 लाख कर्मचारियों के साथ ही देश का 80 लाख कर्मचारी कर रहा है मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच ने आज प्रधानमंत्री को भेजे ज्ञापन में मांग की है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए न्यू पेंशन योजना एनपीएस को रद्द करके कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना ओ पी एस तत्काल लागू करी जाए।
मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के प्रांत अध्यक्ष अशोक पांडे ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि सर्वोच्च न्यायालय कि संविधान बेंच ने सिविल अपील क्रमांक 1123 दिनांक 1/7/ 2015 मैं आदेश जारी करते हुए उल्लेख किया है कि पेंशन कर्मचारी का एक अधिकार है उसका भुगतान करना सरकार के विवेक पर निर्भर नहीं करता है पेंशन नियमों द्वारा शासित होती है और उन नियमों के तहत आने वाले सरकारी कर्मचारी पेंशन का दावा करने के हकदार होते हैं पेंशन में संशोधन और वेतनमान का संबोधन अविभाज्य है फैसले में यह भी कहा गया कि संशोधित वेतनमान के अनुसार संशोधित वेतनमान में न्यूनतम वेतन बैंड में संशोधन पर मूल पेंशन मूल वेतन के 50% से कम नहीं हो सकती है सरकार पेंशन भोगियों के बाद बकाया से इनकार करने के लिए वित्तीय बोझ की दलील नहीं दे सकती। सरकार को तुच्छ मुकदमे बाजी से बचना चाहिए और मुकदमा वादी के लिए किसी भी दावे को प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए पेंशन कर्मचारी का अधिकार है कोई पुरस्कार नहीं पेंशन का उन्नयन और वेतन का उन्नयन अविभाज्य है पेंशन का उन्नयन भी एक अधिकार है ना कि पुरस्कार यह फैसला डीएस नकारा के मामले को आधार बना कर दिया गया है।
श्री पांडे ने कहा कि केंद्र सरकार के पीएफआरडीए एक्ट 2013 के बनाने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला 2015 में देकर यह स्पष्ट कर दिया था कि कर्मचारियों को मूल वेतन की 50% राशि पेंशन के रूप में मिलना चाहिए और वह उसका अधिकार है फिर भी केंद्र सरकार हठधर्मिता पर उतारू है कर्मचारियों के वेतन से 10% राशि काटने के बावजूद भी एनपीएस के माध्यम से 5% राशि भी पेंशन के रूप में नहीं दे रही है तथा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उपरांत भी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना ओ पी एस का लाभ देने का निर्णय नहीं ले रही है सरकार कर्मचारियों के साथ पेंशन के मामले मेंदोहरा मापदंड ना अपनाए तथा तत्काल सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के पालन में देश के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना ओ पी एस का लाभ देने के आदेश जारी करें अन्यथा कर्मचारी देशव्यापी ओ पी एस आंदोलन और उग्र कर देगा।
                               

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