अवैध हथियारों का अड्डा बना मध्यप्रदेश, 15 हजार में सेमीआटोमैटिक पिस्टल और लाख रुपए में बैन ग्लाक

- 8 राज्यों में सप्लाई, देशभर में सबसे सस्ती हथियारों की मंडी है मध्यप्रदेश

 दर्जन भर सर्चिंग, पुलिस, एटीएस और एनआईए के हाथ भी नहीं लगी फैक्ट्री भोपाल । देशभर में मध्य प्रदेश में ही सबसे कम दामों में हथियार आसानी से मिलते हैं। यही कारण है कि यूपी, बिहार सहित 8 राज्यों में सप्लाई हो रही है। अब अवैध हथियारों के कुशल कारीगर सिकलीकर गैंग की नई पीढिय़ों ने भी कारोबार को बढ़ा लिया है। सोशल मीडिया और वीडियो के जरिए हथियारों को बेचने का काला कारोबार चला रहे हैं। गैंग के पीछे पिछले कई सालों से पुलिस लगी हुई है लेकिन सफलता नहीं मिली है। देश के कई राज्यों में हथियारों के बेचने के मामले में एटीएस और एनआईए को भी तलाश हैं मगर मध्य प्रदेश में सिकलीगर गैंग की अवैध हथियारों की फैक्ट्री का पता नहीं लगा है। खुफिया एजेंसी से जुड़े अधिकारी ने बताया कि सिकलीगर समाज हथियारों को बनाने के मामले में काफी ज्यादा एक्सपर्ट होते हैं। यही वजह है कि सिर्फ 15 हजार रुपए में सेमी आटोमैटिक पिस्टल बेचते हैं। यहां तक कि आईपीएस अधिकारी को राज्य सरकार 7-8 लाख रुपए की ग्लाक नाम की पिस्टल देती है। हूबहू सिकलीगर भी ग्लाक बना रहे हैं। यह हथियार सिर्फ पुलिस के लिए ही है। इसलिए बैन भी किया गया है और विदेश से राज्य सरकार इंपोर्ट करती है लेकिन लाख रुपए में गैंग ग्लाक बनाकर बेंच रही है। इसलिए पाकिस्तान व विदेश से हथियार भारत में नहीं आ रहे हैं। बल्कि गैंगवार और हाईप्रोफाइल हमलों में ग्लाक का ही इस्तेमाल होता है। इस वजह से मध्य प्रदेश में सिकलीगर गैंग की तलाश पिछले डेढ़ साल से खुफिया एजेंसी कर रही है। इसके अलावा पंजाब पुलिस के डीजीपी ने भी डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना को कुछ महीने पहले पत्र लिखा था। उन्होंने हथियारों की तस्करी और अवैध हथियारों के निर्णय को लेकर जानकारी दी थी। जिसके बाद सभी जिलों के एसपी के पत्र भी पीएचक्यू ने लिखा था। हालांकि फिर भी एमपी से पहले खरगोन में पंजाब पुलिस की काउंटर इंटेलिजेंस ने तस्करों को गिरफ्तार कर लिया था। -इन राज्यों तक ऐसे होती है सप्लाई मध्य प्रदेश के यूपी लगा हुआ है। यूपी के साथ बिहार और दिल्ली तक आसानी से हथियार पहुंचते हैं। फिर नोएडा, गुडग़ांव, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल तक भेजे जाते हैं। सिकलीगर गैंग से हालांकि काफी कम बदमाश ही संपर्ककर पाते हैं। हथियारों की 80 फीसदी सप्लाई दलाल के जरिए ही होती है। इधर, महाराष्ट्र, गुजरात और कोलकाता तक सिकलीगर गैंग के हथियार भेजे जा रहे हैं। मूसेवाला हत्याकांड में भी ग्लाक का ही इस्तेमाल किया था। -एस-मैक बैठक में किरकिरी हर महीने होने वाली खुफिया इनपुट की एस-मैक की बैठक में लगातार सिकलीगर गैंग के इनपुट को लगातार किरकिरी हो रही है। इस बैठक में आर्मी से लेकर रा के अधिकारी भी शामिल होते हैं। मूसेवाला और पंजाब में इटेंलिजेंस अधिकारी के घर पर हमले के बाद से एमपी में कई बार दबिश दी गई है लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी है। गुरुवार को भी इसी मामले को लेकर एस-मैक की हाईलेवल बैठक बुलाए गई थी हालांकी बैठक में क्या निर्णय लिये गए है इसकी जानकारी नहीं लग पाई है। हर दिन डीएनआर में एमपी का जिक्र देशभर से किसी भी राज्य में अवैध हथियार पकड़े जाते हैं तो एमपी का जिक्र जरूर होता है। एटीएस को दूसरे एजेंसियों से मिलने वाली डीएनआर रिपोर्ट में आए दिन अवैध हथियारों का कनेक्शन मध्य प्रदेश से ही मिल रहा है। एटीएस के जुड़े सूत्रों का कहना है कि डीएनआर (डेली न्यूज रिपोर्ट) में हथियारों के मामले में मध्य प्रदेश के कई जिलों से सप्लाई का इनपुट मिलता है। जिसके आधार पर संबंधित जिलों की पुलिस को जानकारी दी जाती है। जिसके बाद भी कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है। मनावर, खरगोन में पुलिस ने हालांकि अवैध हथियार पकड़े हैं लेकिन फैक्ट्री तक नहीं पहुंच पाई है। नक्सलियों की तरह सिकलीगर का पैटर्न खुफिया विभाग के उच्च अधिकारी ने बताया कि मध्य प्रदेश में अवैध हथियार बनाने वाले सिकलीगर गैंग का पैटर्न नक्सलियों की तरह ही है। उन्होंने बताया कि जिस तरह नक्सलियों से संपर्ककरने के बाद बार-बार संबंधित व्यक्ति को वेरिफाई करते हैं। ठीक इसी तरह हथियार खरीदने वाले व्यक्तियों पर भी गैंग की नजर होती है। कई बार फैक्ट्री का पता लगाने के लिए पुलिस भी अंडरकवर होकर संपर्क किया लेकिन गैंग के सदस्य भी पुलिस का पीछे करते थे। भनक लगते ही संपर्क से बाहर हो जाते हैं। हालांकि खरगोन में अवैध हथियारों के लिए पुलिस खरीदने पहुंची थी पर सिकलीगरों ने फैक्ट्री तक ले जाने से इंकार कर दिया। 80 के अधिक हथियार सिर्फबेचने के लिए लेकर पहुंचे थे। जिसके बाद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर दिया है। आजादी के बाद एमपी में बसे सिकलीगर समाज ब्रिटिश आर्मी के लिए हथियार बनाता था। पंजाब में आर्मी के कारखाने में 90 फीसदी सिकलीगर ही काम करते थे। आजादी के बाद अंग्रेज चले गए। सिकलीगरों का हथियार बनाने का अवैध धंधा शुरू हो गया है। पंजाब के बाद सिकलीगर मध्य प्रदेश में आकर बसे। यहां पर कई जिलों में समाज के लोग रहते हैं। अधिकांश लोग हथियार का कारोबार करते हैं। पुलिस के अधिकारी का कहना है कि सिकलीगर हथियारों के मामले में काफी ज्यादा एक्सपर्ट होते हैं। सटीक बनावट और हथियार की रेंज भी बेहतर बनाते हैं। यही कारण भी है कि अन्य राज्यों की अपेक्षा मध्य प्रदेश से दूसरे राज्यों में हथियारों की तस्करी हो रही है।  

0/Post a Comment/Comments

Previous Post Next Post