नई दिल्ली । सरकारी अधिकारी ने बताया कि सरकार को कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि इन कार्यालयों के कामकाज पर होने वाला खर्च भारतीय पर्यटन क्षेत्र को विदेशों में मिलने वाले प्रचार से ज्यादा है। इसके अलावा सरकार का विचार है कि डिजिटल माध्यम और मौजूदा दूतावास प्रचार के अच्छे विकल्प हो सकते हैं।
पर्यटन मंत्रालय ने विदेशों में संचालित हो रहे भारतीय पर्यटन कार्यालयों को लेकर बड़ा फैसला किया है। पर्यटन मंत्रालय के फैसले के मुताबिक, अगले साल 31 मार्च तक प्रचार गतिविधियों से जुड़े पर्यटन मंत्रालय के सात विदेशी कार्यालयों पर ताला लगा दिया जाएगा। अवर सचिव राजेश कुमार ने भी इस संबंध में एक कार्यालय ज्ञापन जारी कर दिया है। वर्तमान में, मंत्रालय लंदन, टोक्यो, बीजिंग, दुबई, सिंगापुर, न्यूयॉर्क और फ्रैंकफर्ट में पर्यटन कार्यालय चलाता है।
जारी किया गया ज्ञापन
अवर सचिव राजेश कुमार द्वारा जारी एक कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि पर्यटन मंत्रालय ने 31 मार्च, 2023 से पहले सभी विदेशी भारतीय पर्यटन कार्यालयों को बंद करने का निर्णय लिया है। ऐसे में विदेशों में आईटीओ (भारतीय पर्यटन कार्यालयों) में तैनात सभी अधिकारियों को फैसले का पालन करने और एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। जारी ज्ञापन में विदेशी कार्यालयों को बंद करने का कोई कारण नहीं बताया गया है। हालांकि इस मुद्दे पर सरकारी सूत्रों का कहना है कि इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह निर्णय लिया है।
इस फैसले के बारे में एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि सरकार को कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि इन कार्यालयों के कामकाज पर होने वाला खर्च भारतीय पर्यटन क्षेत्र को विदेशों में मिलने वाले प्रचार के लायक नहीं है। इसके अलावा सरकार का विचार है कि डिजिटल माध्यम और मौजूदा दूतावास प्रचार के अच्छे विकल्प हो सकते हैं।
गौरतलब है कि भारतीय संस्कृति, विरासत और स्मारकों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पहला पर्यटन कार्यालय 1952 में न्यूयॉर्क में खोला गया था और बाद के वर्षों में विभिन्न देशों में ऐसे 25 केंद्र खोले गए।
हो रही आलोचना
वहीं, कुछ विशेषज्ञों ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की है। उन्होंने सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम को गलत बताते हुए कहा है कि उनका मानना है कि इससे पर्यटन क्षेत्र पर बुरा असर पड़ेगा। पर्यटन मंत्रालय के पूर्व महानिदेशक सत्यजीत राजन ने कहा कि यह अच्छा फैसला नहीं है और इससे इस क्षेत्र को नुकसान होगा। उनके अनुसार, यदि सरकार कार्यालयों को बंद करना चाहती है तो उसे वैकल्पिक उपाय के रूप में अन्य प्रचार गतिविधियों का समर्थन करना चाहिए।
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