नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने 120 करोड़ रुपये के आउटले के साथ ड्रोन और ड्रोन कलपुर्जों के लिए उत्पादन से जुड़ी पीएलआई स्कीम को मंजूरी दे दी है। यह योजना 2022-23 से 2024-25 की अवधि के दौरान लागू होगी। इस संबंध में केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय ने ड्रोन एवं ड्रोन कलपुर्जों से संबंधित उत्पादन से जुड़ी PLI योजना के लिए परिचालन दिशा-निर्देश अधिसूचित कर दिए हैं।
किस अवधि में होगा खर्च
गौरतलब हो, सरकार ने 2022-23 से 2024-25 के दौरान 120 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ ड्रोन और ड्रोन घटकों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना को मंजूरी दी है। यह योजना नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही है।
ज्ञात हो केंद्र सरकार द्वारा 25 अगस्त 2021 को जारी उदारीकृत ड्रोन नियम, 2021 के अनुवर्ती के रूप में पीएलआई योजना लाई गई थी। पीएलआई योजना और नए ड्रोन नियमों का उद्देश्य आगामी ड्रोन क्षेत्र में सुपर-सामान्य विकास को प्रेरित करना है। इसी दिशा में अब केंद्र सरकार ने आगे की यात्रा तय करने के लिए कदम बढ़ाया है।
क्या है इस योजना का उद्देश्य ?
ड्रोन और ड्रोन कलपुर्जों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के संबंध में मंत्रालय ने कहा है कि इस योजना का उद्देश्य देश में स्वदेशी उद्योगों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने पर ध्यान देने के साथ ड्रोन और ड्रोन कलपुर्जों के निर्माण को प्रोत्साहित करना है। इससे भारत में ड्रोन और ड्रोन कलपुर्जों के निर्माण में लगी कंपनियों को सहायता मिलेगी।
किन्हें मिलेगा लाभ ?
मंत्रालय ने यह भी कहा कि योजना के तहत सहायता केवल भारत में ड्रोन और ड्रोन कलपुर्जों के निर्माण में लगी कंपनियों को प्रदान की जाएगी। दिशानिर्देशों के अनुसार, ड्रोन विनिर्माण करने वाले एमएसएमई क्षेत्र के वे उपक्रम और स्टार्टअप जिनका वार्षिक बिक्री कारोबार दो करोड़ रुपए है और कंपोनेंट सेगमेंट के लिए 50 लाख रुपए का वार्षिक बिक्री कारोबार है, वे इसका लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
जबकि गैर-एमएसएमई के लिए ड्रोन के लिए चार करोड़ रुपए और कंपोनेंट सेगमेंट के लिए एक करोड़ रुपए का वार्षिक बिक्री कारोबार होना आवश्यक है। इस संबंध में कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों का अधिकार प्राप्त समूह इस योजना की निगरानी करेगा।
आत्मनिर्भर भारत का सामूहिक दृष्टिकोण होगा साकार
आत्मनिर्भर भारत के हमारे सामूहिक दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने ड्रोन और ड्रोन कंपोनेंट्स के लिए उत्पादन से सम्बद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को मंजूरी प्रदान की है।
ड्रोन के उत्पादन पर रहेगा जोर
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत ड्रोन के उत्पादन पर भी जोर दिया है। याद हो, केंद्र ने कुछ बातों को छोड़ कर ड्रोन के आयात पर पाबंदी लगा दी थी।
इन क्षेत्रों में ड्रोन का हो सकता है इस्तेमाल
उल्लेखनीय है कि अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में ड्रोन जबरदस्त लाभ प्रदान करते हैं। इनमें कृषि, खनन, बुनियादी ढांचा, निगरानी, आपातकालीन प्रतिक्रिया, परिवहन, भू-स्थानिक मानचित्रण, रक्षा और कानून प्रवर्तन शामिल हैं। तेजी से बदलती दुनिया के साथ आने वाले वक्त में ड्रोन अपनी पहुंच, बहुमुखी प्रतिभा और उपयोग में आसानी के कारण विशेष रूप से भारत के दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में रोजगार और आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण निर्माता हो सकते हैं।
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