नई दिल्ली । कोई देश अपनी नीतियों और अपने जनता की देखभाल के कारण ही अंतरराष्ट्रीय जगत में सिरमौर बनता है। आज भारत भी उसी स्थिति में तेजी से आगे बढ़ रहा है। पहली बार जारी ग्लोबल माइनॉरिटी रिपोर्ट ने माना है कि भारत अल्पसंख्यकों के लिए सबसे बढ़िया देश है। रिपोर्ट कहती है कि जिस प्रकार अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक और शैक्षिक प्रचार के लिए भारत के संविधान में विशेष प्रावधान है, इस तरह के प्रावधान किसी और देश में नहीं है। वैश्विक अल्पसंख्यक सूचकांक भी इस रिपोर्ट के माध्यम से जारी किया गया है। इस सूचकांक में भारत सबसे ऊपर स्थान पर काबिज है, जबकि अमेरिका चौथे स्थान पर है।
110 देशों की सूची
संगठन ने कई देशों में धार्मिक अल्पसंख्यकों को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है। समावेश और व्यवहार के मामले को ध्यान में रखते हुए अल्पसंख्यकों को लेकर 110 देशों की सूची में भारत को सबसे ऊपर रखा गया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत के संविधान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक और शैक्षिक प्रचार के लिए विशेष प्रावधान हैं। दुनिया के किसी अन्य संविधान में धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के प्रचार के लिए ऐसा विशेष प्रावधान नहीं हैं।’
भारत एकमात्र ऐसा देश, जहां…
रिपोर्ट कहती है कि भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां किसी भी धर्म के किसी भी संप्रदाय पर कोई प्रतिबंध नहीं है, जबकि कई अन्य देशों में भारत से विपरीत स्थिति है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत की इस स्थिति को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अन्य देशों के लिए एक मॉडल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
जानकारी के लिए बता दें कि पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र-IGNCA के अध्यक्ष राम बहादुर राय और परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने पिछले दिनों संयुक्त रुप से ग्लोबल माइनॉरिटी रिपोर्ट को जारी किया था।इस रिपोर्ट में दस लाख से अधिक आबादी वाले 110 देशों को लेकर अध्ययन किया गया है।
यह रिपोर्ट महज एक रिपोर्ट भर नहीं है, बल्कि यह पश्चिमी व विकसित देशों को आईना भी दिखा रही है, जिन्होंने समय-समय दूसरे देशों पर कीचड़ उछालने का ही काम किया है।यह रिपोर्ट तर्क और तथ्यों पर आधारित है। कहना गलत नहीं होगा कि इस रिपोर्ट के आने से दुनियाभर के देशों में इस मसले पर चर्चा होगी।
अल्पसंख्यकों को लेकर एक नजर
विकसित देश दूसरे देशों को लेकर चाहे जो भी खाका दुनिया के सामने पेश करें लेकिन भारत में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए दूसरे देशों से एकदम हटकर नीतियां और योजनाएं हैं। केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों के विकास के लिए दृढ़संकल्प है। उनके कल्याण के लिए प्रधानमंत्री का नया 15 सूत्री कार्यक्रम भी जारी किया है, जानते हैं कौन-कौन से हैं वे कार्यक्रम…
-एकीकृत बाल विकास सेवाओं की समुचित उपलब्धता
-विद्यालयीन शिक्षा की उपलब्धता को सुधारना
-उर्दू शिक्षण के लिये और अधिक संसाधन
-मदरसा शिक्षा आधुनिकीकरण
-अल्पसंख्यक समुदाय के मेधावी विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति
-मौलाना आजाद शिक्षा प्रतिष्ठान के माध्यम से शैक्षिक अधोसंरचना को उन्नत करना
-गरीबों के लिए स्वरोजगार एवं मजदूरी रोजगार योजना
-तकनीकी शिक्षा के माध्यम से कौशल का उन्नयन
-आर्थिक क्रियाकलापों के लिए अभिवृद्धित ऋण सहायता
-राज्य एवं केंद्रीय सेवाओं में भर्ती
-ग्रामीण आवास योजना में उचित हिस्सेदारी
-सांप्रदायिक घटनाओं की रोकथाम
-सांप्रदायिक अपराधों के लिये अभियोजन
-सांप्रदायिक दंगों के पीड़ितों का पुनर्वास
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के लिए वर्ष 2022-23 के आम बजट में 5020.50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो इसके पहले के वित्त वर्ष के संशोधित आंकड़े के मुकाबले 674.05 करोड़ रुपये अधिक है। जानकारी के लिए बता दें साल-दर-साल केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों के विकास के लिए उनके लिए आवंटित बजट में वृद्धि करती रहती है। वहीं 2013-14 की बात करें तो अल्पसंख्यकों के लिए यह बजट 3,512 करोड़ रुपये का था। चलिए जानते हैं अल्पसंख्यकों के लिए केंद्र सरकार द्वारा कौन-कौन सी योजनाएं चलाई गईं :
-नया सवेरा
-पढ़ो परदेश
-नई उड़ान
-हमारी धरोहर
-मैट्रिक पूर्व छात्रवृत्ति योजना
-मौलाना आजाद शिक्षा प्रतिष्ठान
-अल्पसंख्यक समुदाय की मेधावी बालिकाओं के लिए बेगम हजरत महल राष्ट्रीय छात्रवृत्ति
-मैट्रिकत्तोर छात्रवृत्ति योजना
-नई रोशनी
-सीखो और कमाओ
-नई मंजिल
-उस्ताद
-प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम
-मेरिट सह साधन आधारित छात्रवृत्ति योजना
-मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति छात्रवृत्ति योजना
-जियो पार
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