कांग्रेस के पूर्व मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा बीजेपी में शामिल
मुख्यमंत्री शिवराज ने दिलाई सदस्यता
भोपाल । कांग्रेस के पूर्व मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने विधिवत आज मुख्यमंत्री की मौजूदगी में बीजेपी के प्रदेश कार्यालय में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इसी के साथ बीजेपी के नवीनतम सदस्य ने कांग्रेस पर 84 के दंगो में उनके समझने साथ की गई ज्यादतियों का आरोप लगाया है। मध्यप्रदेश में आगामी वर्ष विधान सभा के चुनाव होना है इसी के साथ अब राजनीतिक पार्टियों के सदस्यों का पार्टी छोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया है। जिमें आज शुक्रवार 25 नवंबर 2022 को कांग्रेस के पूर्व मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने पार्टी को छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया है । यहां पर उन्हें अपना राजनीतिक भविष्य उज्ज्वल दिखाई दे रहा है। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी में शामिल नरेंद्र सलूजा ने बताया कि इंदौर खालसा कॉलेज में हुए घटनाक्रम के बाद 84 दंगो का सच जो सामने आया। उसके बाद मेरा मन व्यथित हुआ। में जिस धर्म मे आस्था रखता हूं उस धर्म के मेरे लोगो की हत्या के आरोपियों के सच ने मेरी आँखें खोल दी। में ऐसे संघटन के साथ कार्य नही कर सकता। खालसा कॉलेज घटनाक्रम के बाद मेने कांग्रेस की कोई पोस्ट नही की। न राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुआ। में एक कार्यकता के रूप में बीजेपी में शामिल हुए हु। बीजेपी जो जिम्मेदारी देगी उसे जी जान से निभाउंगा।
अन्य कांग्रेसियों पर भी नजर
नरेंद्र सलूजा के शामिल होने के बाद बीजेपी ने अपनी आगे चाल चलने की तैयारी कर ली है। सूत्र बताते हैं कि भाजपा के निशाने पर अब
अरुण यादव और अजय सिंह हैं। दोनों को पार्टी में शामिल कराने की बिसात बिछाई जा रही है।
जहां एक तरफ कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा निकालकर कांग्रेस को मजबूत करने के लिए हजारों किलोमीटर की यात्रा पैदल ही कर रहे हैं जिसमें उन्हें देश की जनता का समर्थन भी खूब मिल रहा है। मध्य प्रदेश में बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र निमाड़ में कांग्रेस ने सेंध लगाना शुरू कर दिया है जिसका उदाहरण राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को दो दिन से मिल रहा समर्थन है। इससे बीजेपी की नींव हिलती दिखाई दे रही है। उल्टा बीजेपी अपने वोट बैंक में लग रही सेंध को बचाने का प्रयास तो कर नहीं रहे हैं लेकिन वह कांग्रेस के पदाधिकारियों को अपनी पार्टी में शामिल करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। जो इनकी आनेवाले चुनावों में पराजय की तरफ इशारा कर रहा है। बीजेपी का राजनीति परिदृश्य जोड़ तोड़ का ही रहा है। पिछले एक दशक का आंकड़ा देखा जाय तो एक तिहाई बीजेपी के विधायक, सांसद, राज्यसभा सदस्य दूसरी राजनीतिक पार्टियों से आए हुए हैं। इससे यह स्पष्ट है कि इनकी पार्टी अपनी पार्टी में इसे मजबूत प्रत्याशी देश को नहीं दे पाई जो मैदानी चुनाव में पार्टी के बैनर से किसी भी सदन पहुंच कर बीजेपी को बहुमत दिया हो। अब जब आगामी वर्ष में चुनाव की तैयारी सभी राजनीतिक पार्टियां कर रही हैं ऐसे में इस तोड़ फोड़ के सहारे की राजनीति फिर शुरू हो गई। यह जनता को कितना अपनी ओर आकर्षित कर पाएगी यह आने वाला समय ही तय करेगा। लेकिन यह स्पष्ट हो रहा है की बीजेपी को अपना अस्तित्व मध्यप्रदेश में खोता नजर आ रहा है। जिसे बचाने के प्रयास किए जा रहे है।
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