आखिर कैसे काम करता है भारतीय चुनाव आयोग, यहां पढ़ें

नई दिल्ली । नए चुनाव आयुक्त के पदभार संभालते ही चुनाव आयोग को लेकर चर्चा तेज हो गई है। दरअसल, भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी अरुण गोयल ने सोमवार को चुनाव आयुक्त का पदभार ग्रहण कर लिया है। वे मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय के साथ निर्वाचन आयोग का हिस्सा होंगे। ऐसे में आइए जानते हैं कि भारतीय चुनाव आयोग कैसे काम करता है और देश में चुनाव कराने वाली इस संस्था के पास कौन से अधिकार, कर्तव्य और शक्तियां हैं ?

चुनाव आयोग क्या है ?

भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेवारी चुनाव आयोग की है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यहां 18 वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक नागरिक को बिना किसी भेदभाव के मतदान का अधिकार दिया गया है। नागरिक चुनाव के माध्यम से अपने मतदान के अधिकार का प्रयोग करते हैं। भारतीय संविधान के अनुसार घोषित लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए संसद के दोनों सदनों, राज्य विधान सभाओं और अन्य संस्थानों में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली संस्था चुनाव आयोग है।

संरचना

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 में निर्वाचन आयोग का प्रावधान किया गया है जो भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से चुनाव सम्पन्न कराने वाली शीर्ष संस्था है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 में संसद, राज्य विधानमंडल के साथ-साथ राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव; भारतीय चुनाव आयोग ही कराता है। भारतीय निर्वाचन आयोग की स्थापना '25 जनवरी 1950' को हुई थी। यह एक स्थाई संवैधानिक निकाय है। चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त एवं दो अन्य चुनाव आयुक्त होते हैं, जिनमें मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्य अवधि 6 वर्ष या 65 वर्ष का होता है जो पहले पूरा होता हो। अन्य चुनाव आयुक्त की कार्य अवधि 6 वर्ष या 62 वर्ष होती है।

शक्तियां एवं कार्य

देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुनिश्चित करने वाली संस्था निर्वाचन आयोग को कई शक्तियां प्राप्त हैं। चुनाव आयोग जहां परिसीमन आयोग अधिनियम के अनुरूप निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करता है। वहीं निर्वाचक नामावलियों को तैयार करता है और समय-समय पर उनमें सुधार करता है जिससे सभी योग्य मतदाताओं को पंजीकृत किया सके। यह चुनावों कार्यक्रम निर्धारित करता है और उसे अधिसूचित करता है। यह चुनाव हेतु प्रत्याशियों के नामांकन स्वीकार करता है फिर उनकी जांच कर उन्हें उम्मीदवार होने का प्रमाण देता है।

राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना

चुनाव आयोग राजनीतिक दलों को पंजीकृत करता है और उन्हें चुनाव चिन्ह प्रदान करता है। यह चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा किए गए प्रदर्शन के आधार पर उन्हें राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय दलों का दर्जा प्रदान करता है। निर्वाचन आयोग प्रत्येक राष्ट्रीय राजनीतिक दल को एक विशेष चिन्ह आवंटित करती है, जिसे वह राजनीतिक दल पूरे देश में प्रयोग कर सकता है। इसी तरह प्रत्येक राज्य स्तरीय दल को एक चिन्ह आवंटित किया जाता है, जिसे वह पूरे राज्य में प्रयोग कर सकता है। इन चिन्हों को आरक्षित चिन्ह कहा जाता है, जिन्हें कोई अन्य दल या प्रत्याशी प्रयोग नहीं कर सकता है।

परामर्शी अधिकार क्षेत्र एवं अर्ध-न्यायिक प्रक्रिया

संविधान के अधीन आयोग के पास संसद एवं राज्य विधान मंडलों के आसीन सदस्यों की निर्वाचन पश्‍चात निरर्हता के मामले में परामर्शी अधिकार हैं। इसके अतिरिक्त, निर्वाचनों में भ्रष्ट आचरण के लिए दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों के मामले आयोग से परामर्श किए जाते हैं। आयोग के पास ऐसे उम्मीदवार जो कानून द्वारा निर्धारित समय और रीति से अपने निर्वाचन व्यय का लेखा-जोखा देने में असफल हो जाते हैं, उनको निरस्त करने का अधिकार है।

मत कौन डाल सकता है ?

चुनाव आयोग के अनुसार भारत में लोकतांत्रिक प्रणाली सार्वभौमिक वयस्‍क मताधिकार के सिद्धांत पर आधारित है जिसमें 18 वर्ष से अधिक का कोई भी नागरिक निर्वाचन में मत डाल सकता है। वर्ष 1989 से पहले यह आयु 21 वर्ष थी। मत देने के अधिकार में जाति, समुदाय, धर्म या लिंग पर ध्यान नहीं दिया जाता है। भारतीय निर्वाचन में मत देने वाले लोगों की संख्या में सामान्यतः वृद्धि हुई है, इसमें चुनाव आयोग का अहम रोल है। जहां वर्ष 1996 में 57.4 प्रतिशत निर्वाचकों ने मतदान किया था, वहीं वर्ष 2014 के निर्वाचनों में बढ़कर 66% हो गई। महिलाओं ने भी काफी संख्या में मत दिया और इनकी संख्‍या लगभग पुरूषों के बराबर हो गई।

चुनाव आयोग की नई पहल

आयोग ने पिछले कुछ समय में कई नई पहल की हैं। इन पहलों में राजनीतिक दलों द्वारा रेडियो प्रसारण/दूरदर्शन प्रसारण के लिए राज्य के स्वामित्व वाली इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रयोग की योजना बनाना, राजनीति के अपराधीकरण पर रोक लगाना, निर्वाचक नामावलियों का कंप्यूटरीकरण और उन्हें प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को सरल बनाना मुख्य रूप से शामिल है। आयोग आदर्श आचार संहिता का कड़ाई से अनुपालन करने हेतु कई उपाय कर निर्वाचनों के दौरान अभ्‍यर्थियों को एक-समान अवसर उपलब्ध करा रहा है।

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